बनभूलपुरा दंगे के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र पर दूसरे दिन सुनवाई के बाद निर्णय सुरक्षित रखा

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नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा दंगे के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र पर दूसरे दिन सुनवाई के बाद निर्णय इस प्रश्न पर सुरक्षित रखा है कि इस मामले की सुनवाई एकलपीठ कर सकती है या नहीं ।

मामले की सुनवाई  न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई । कोर्ट ने कहा कि अभी जमानत दिए जाने या न दिए जाने का प्रश्न नहीं है। प्रश्न यह है कि जिस मुकदमे में यू. ए. पी. ए.  लग जाता है उससे जुड़े आरोपियों की जमानत हाईकोर्ट की खण्डपीठ सुनेगी या एकलपीठ? इस पर कोर्ट ने निणर्य सुरक्षित रख लिया है। राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इस केस में युएपीए लगा है इसलिए मामले को खण्डपीठ सुनेगी। इससे सम्बंधित केसों में खण्डपीठ सुनवाई कर रही है और कई मामले को सुन चुकी है। जबकि आरोपी की ओर से कहा गया कि इस मामले की जाँच रेगुलर पुलिस  कर रही है इसलिए मामले को एकलपीठ सुन सकती है। इससे सम्बंधित उनके द्वारा सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पेश किए और कहा कि खण्डपीठ उन मामलों को सुन सकती है जिसमें एन आई ए ने जांच की हो और स्पेशल कोर्ट ने जमानत खारिज कर दी हो। जबकि इस मामले में सेशन कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की है और रेगुलर पुलिस ने मामले की जांच की है। 

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सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि आरोपी के खिलाफ यूएपीए जैसे गंभीर धाराओं में मामला दर्ज हैं । बज दंगे के मुख्य आरोपियों में से एक है। इसलिये एकलपीठ सुनवाई नहीं कर सकती है। मलिक की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने पैरवी की।

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