एकजुटता के संकल्प के साथ शुरू हुआ उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अधिवेशन का खुला सत्र

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एस आर चंद्रा

बिरादाराना संगठनों के कई प्रतिनिधियों ने किया सम्बोधन-

भिकियासैण। (अल्मोडा़) उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का दो दिवसीय छठा अधिवेशन रामनगर के अग्रवाल सभा के जगदीश सभागार में जनगीतों एवं नुक्कड़ नाटक से शुरू हुआ। पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष की अध्यक्षता पीसी तिवारी एव पार्टी उपाध्यक्ष प्रभात ध्यानी के संचालन में हुयी। पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी ने खुले सत्र की औपचारिक शुरुआत करते हुए कहा कि तराई भावर से लेकर सुदूर पहाड़ बुग्यालों तक एक व्यवस्थित व संघर्षशील राजनैतिक पार्टी की परिकल्पना को साकार करने पर जोर देते हुए कहा कि राज्य को आज भाजपा कांग्रेस के विरुद्ध एक सशक्त राजनैतिक विकल्प की जरूरत है,उपपा इस मापदंड पर खरा उतरने का संकल्प लेती है।


हिंदुस्तान लखनऊ के पूर्व संपादक नवीन जोशी ने उत्तराखंड में आंदोलनकारियों द्वारा वोट की राजनीति में न आकर चुनावी मैदान छोड़े जाने को बड़ी भूल बताते हुए कहा कि जिस प्रकार भारत संविधान निर्माता डा0 भीमराव अंबेडकर की वैचारिक विरासत को पुस्तकालयों से निकालकर कांशीराम ने साईकिल यात्राओं के माध्यम से गांव गांव पहुंचाकर बसपा का आधार वोट खड़ा किया, उसी तर्ज पर तराई के गली मुहल्ले से लेकर पहाड़ के दुर्गम गांवों तक जनता का मानस बदलना पड़ेगा। लोग आंदोलन के लिए तो आंदोलनकारियों को याद करते हैं, लेकिन चुनाव के समय उन्हीं पार्टियों के पास चले जाते हैं, जिनके खिलाफ पांच साल तक लड़ते हैं। संघर्षों के लिए बने इस भरोसे को वोटों के भरोसे में भी बदलने की जरूरत है।


प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की शीला शर्मा ने महिलाओं की स्थिति पर चर्चा की। सामाजिक कार्यकर्ता इस्लाम हुसैन ने कहा कि प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं का आलम यह है कि महकमे के मुखिया भी जरूरत के समय अपना इलाज प्राइवेट अस्पताल में करवाते है, इससे लोगों को सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा सरकार में चेहरे भले ही पहाड़ के दिखते हों, लेकिन इनकी कंट्रोलिंग बॉडी नागपुर में ही बैठी है।

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महिला एकता मंच की ललिता रावत ने सभी संगठनों को जनता के संघर्षों को आगे बढ़ाने के लिए एकजुटता के साथ आगे चलने की अपील की। भारतीय किसान मोर्चा के बल्ली सिंह चीमा ने कहा कि लंबे समय तक चले किसान आंदोलन ने केंद्र सरकार को बेनकाब कर दिया है। देश में कानून भले ही सरकारें बना रहीं हैं, लेकिन नीतियां वहीं हैं जो विश्व बैंक के इशारे पर बनी हैं।
मजदूर सहयोग केंद्र के मुकुल ने कहा कि आजादी के बाद से ही हाशिए पर रहे मजदूर नए श्रम कानूनों के बाद पूरी तरह गुलामी की जिंदगी जीने को अभिशप्त हो जायेगा। देश की सबसे चिकित्सा देने वाले उत्तराखंड के सिडकुल में युवाओं के सपने दम तोड़ रहे हैं। लेकिन फैक्ट्रियां सब्सिडी का लाभ लेकर चंपत हो रही हैं। मजदूरों के संघर्ष सब जगह चल रहे हैं। उन्हें एक सूत्र में जोड़ने की जरूरत है। वन पंचायत मोर्चा के तरुण जोशी ने कहा सत्ता बाहर से दिखने में कितनी भी मजबूत दिखती हो, लेकिन है कमजोर। आई टी सेल और झूठ की बुनियाद पर खड़ी इस सरकार को एकजुटता के दाम पर ही मुंहतोड़ तार्किक चुनौती दी जा सकती है।


क्रांतिकारी लोकाधिकार संगठन के अध्यक्ष पीपी आर्य ने कहा शासन सत्ता पूरी तरह बेलगाम होकर पांच किलो राशन में लोगों के सभी नागरिक अधिकारों को खत्म करने पर तुली हुई है। अपने भाग्य का फैसला करने के लिए जनता के संघर्षों को चेतना से लेस करना पड़ेगा। वैचारिक आदान प्रदान के ऐसे ही मंथनों से आगे की राह भी निकलेगी।

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किसान मोर्चा के ललित उप्रेती ने नया विपक्ष खड़ा कर सरकार को कंट्रोल करने की जरूरत बताई, जिससे सत्ता के संरक्षण में पल रहे पुल्कित, हाकम और चंदन जैसे लंपटों से समाज को बचाया जा सके।


पत्रकार पलाश विश्वास ने कहा कि मौजूदा पर्यटन से पहाड़ को बेदखल कर दिया गया है, बद्रीनाथ तक को टूरिस्ट पैलेस बनाकर रख दिया है। आपदा और जलवायु के बदलाव मुद्दा नहीं बन पा रहे हैं। राजनैतिक प्रतिबद्धता के दाम पर ही इन सवालों को हल किया जा सकता है।
एडवोकेट जेसी आर्य ने बढ़ रहे दमन के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाए जाने की वकालत करते हुए कहा कि घास काटने, अधिकार मांगने और बोलने तक पर हो रहे निरंकुश दमन के खिलाफ आज खड़े नहीं हुए, तो आने वाले समय में जल, जंगल, जमीन पर बचे खुचे हुए अधिकार भी समाप्त हो जायेंगे।


इंकलाबी मजदूर केंद्र के महासचिव रोहित रुहेला ने कहा कि मजदूरों की हालत देश में इतनी खराब है कि मजदूरों को संरक्षण देने वाले मामूली अपने ही कानून को सरकार नहीं मानती है। इस कानूनों से आने वाला कोर्ट का फैसला तक लागू नहीं किया जाता है। जबकि आने वाले नए श्रम कानून तो मजदूर के लिए साक्षात फांसी का फंदा है। आजादी के बाद सरकार की ओर से सबसे बड़ा होने वाला मजदूरों पर यह हमला मजदूर को पूरी तरह पूंजीपतियों का गुलाम बनाकर रख देगा। समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीश कुमार ने कहा कि सरकार की अनदेखी ने पूरे उत्तराखंड को मसाज और स्पा सेंटर के नाम पर देह व्यापार के धंधे में झोंक रखा है। नौकरियों के घोटाले बता रहे हैं कि नेता अपने बच्चों और चहेतों को इन नौकरियों में लगा रहे हैं। जबकि गरीबों के बच्चों को धन्नासेठों की तेल मालिश में झोंका जा रहा है। उन्होंने रोजगार को सरकार की जिम्मेदारी और लोगों का मौलिक अधिकार, दोहरी शिक्षा खत्म कर एक समान शिक्षा और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कानून में संशोधन करने की मांग की। रूपेश कुमार ने पहाड़ और तराई के बंटवारे को पहाड़ के लिए घातक बताते हुए कहा कि आज आधे से ज्यादा पहाड़ की आबादी तराई में रह रही है। पहाड़ के युवा सिडकुल में अपना शोषण कराने को मजबूर हो रहे है। इस सबके खिलाफ एक साझा लड़ाई की जरूरत है।

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इस मौके पर प्रतीक बहुगुणा – जिलाध्यक्ष देहरादून,प्रकाश उनियाल – जिलाध्यक्ष नैनीताल ,जिला लालमणि महासचिव नैनीताल,सी पी. शर्मा महासचिव देहरादून,रीता इस्लाम काठगोदाम, विशन दत्त सनवाल भूपाल सिह धपोला ,विनोद जोशी, हल्द्वानी,डी.डी. सती रामनगर,एड0 नारायण राम अल्मोडा़, बिहारी लाल ,दीक्षा सुयाल ,विनोद जोशी हल्द्वानी,बिष्णु शंकर अग्रवाल रामनगर,नरेश नौडियाल पौड़ी,राम सिंह खनी – हल्द्वानी,मनमोहन अग्रवाल – रामनगर,भुवन चन्द्र पनुवाद्यौखन ,प्रथ्वीपाल,प्रदीप,मनोज कुमार,पुष्पा देवी,नन्द किशोर ,अर्जुन कुमार,जितेन्द्र कुमार,प्रेरणा गर्ग, सलीम मलिक रामनगर,
जगदीश ममगई चौखुटिया,हिमांशु भारद्वाज – देहरादून, हीरा देवी अल्मोड़ा,इन्द्र सिंह मुक्तेश्वर,राजेन्द्र सिंह – नैनीसार,
प्रकाश जोशी द्वाराहाट, जसवन्त सिंह – गैरसैण
कोस्तुभा नन्द भट्ट जागेश्वर आदि शामिल थे।

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