महिलाओं को उनके अधिकारों के के प्रति जागरूक करने के लिए शिविर का आयोजन
शिवेंद्र गोस्वामी
अल्मोड़ा 4 सितंबर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर जनपद न्यायाधीश के मार्गदर्शन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा रवि शंकर मिश्रा द्वारा ब्लाक सभागार ताड़ीखेत, रानीखेत अल्मोड़ा में आज महिलाओं के अधिकार विषय पर शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरणरवि शंकर मिश्रा द्वारा संविधान में महिलाओं से संबंधित अधिकारो के बारे में, परिवार न्यायालय के कार्य के बारे में विस्तार से बताया गया। उनके द्वारा विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्य को बताया गया उनके द्वारा यह भी बताया गया कि अब किसी को भी विधिक सहायता प्राप्त करने के लिये अल्मोड़ा नही आना पड़ेगा।वे निकटतम डाकघर के माध्यम से आवेदन प्राधिकरण को भेज सकते है, प्रत्येक महिला नि: शुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने की अधिकारी है , लोग को बताया गया कि वे प्लास्टिक का उपयोग ना करें, जैविक(गीला) व अजैविक (सूखा)कूड़े के बारे में बताया गया और यह भी अपील की गई कि वे अपने घर पर कूड़े को अलग अलग करके निर्धारित स्थान पर डाले, आस-पास के लोगो को भी सफाई के बारे में जागरूक करे। उनके द्वारा बताया गया कि अपराध के सहन करने से अपराधी का मनोबल बढ़ता है। इसलिये अपराध का प्रतिरोध करे। शिविर मे अधिवक्ता अभिलाषा तिवारी द्वारा महिलाओं को पोक्सो अधिनियम,किशोर न्याय बोर्ड व बाल कल्याण समिति के बारे में जानकारी दी गयी। उनके द्वारा बख अल्मोड़ा में संचालित किशोर गृहों के बारे में बताया गया । यह भी बताया गया कि यदि कोई बच्चा यैसा है जिसकी देखभाल करने वाला कोई नही है तो उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है जिनके द्वारा बच्चो के देख भाल के सम्बंध में आदेश पारित किया जाता है।
अधिवक्ता सुनीता पांडे द्वारा घरेलू हिंसा, भरण पोषण, महिलाओं के सम्पत्ति में अधिकार के बारे मे विस्तार से जानकारी दी गयी यह भी बताया गया कि महिलाओं को समान कार्य समान वेतन के अनुसार वेतन या मजदूरी का भुगतान कियाजाता है जिसमे लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता।कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न के बारे में भी बताया गया कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का पूरा अधिकार है।
शिकायत पर तत्काल कार्रवाई होगी। यौन उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को नाम न छापने देने का अधिकार है। अपनी गोपनीयता की रक्षा करने के लिए यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिला अकेले अपना बयान किसी महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी में या फिर जिलाधिकारी के सामने दर्ज करा सकती है।
शिविर में अधिवक्ता प्रभात सिंह बिष्ट ने भी आपने विचार रखे। शिविर में सिविल जज रानीखेत शिवानी नाहर, खंड विकास अधिकारी,अधिवक्ता प्रभात सिंह बिष्ट,अधिवक्ता जरीना डमर, पैनलअधिवक्ता ललित मोहन आर्य, महिलाये पैरा लीगल वालंटियर , ग्रामप्रधान उपस्थित रहे।संचालन मोहम्मद वसीम द्वारा किया।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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