तहसील मुख्यालय भिकियासैंण में पैन्सनरों का धरना आज़ -43वें दिन भी जारी-
भिकियासैंणl तहसील मुख्यालय भिकियासैंण में पैन्सनरों का धरना आज़ -43वें दिन भी जारी रहा। लेकिन सरकार की ओर से अभी तक कोई भी पहल होती नज़र नहीं आ रही है। ऐसा लगता है सीनियर सिटीजन का यह ऐतिहासिक आंदोलन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने के बाद ही समाप्त होगा। आन्दोलन स्थल पर इकानव्वे बर्ष की उम्र पार कर चुके देब सिंह घुगत्याल ने मांग नहीं माने जाने पर आमरण- अनशन करने की चेतावनी दी है वहीं एक सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके इन्द्र सिंह अधिकारी रोज़ धरना देने पहुंच रहे हैं धरने में अधिकतर लोग ऐसे हैं किसी की हार्ट सर्जरी हुई है तो किसी के प्रोस्टैट ग्लैड का आपरेशन हुआ है यहां तक की वह पेशाब की थैली हाथ में लिए धरने में शामिल हो रहे है कोई पांवों से चल नहीं पा रहा है ऐसा विचित्र आन्दोलन आज तक कहीं देखने को नही मिला है, इसके बाद भी आन्दोलन स्थल पर प्ररेणा दायक जन गीतों में उनकी आवाज बुलंद दिख रही है । तहसील परिसर में पूरे दिन सरकार विरोधी गगनचुम्भी नारों से वातावरण गुंजायमान हो रहा है । उनके जज्वे को देखकर सचमुच कभी बड़ी हैरानी हो जाती है। ऐसा लगता है वें अपनी मांग को मनाकर ही दम लेंगे।
बैठक को सम्बोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने शासनादेश की कमियों को बड़े विस्तार से समझाया उन्होंने कहा शासनादेश में त्रिस्तरीय शिकायत निवारण समिति बनाने का उल्लेख है परन्तु तीन साल बाद भी समिति अस्तित्व में नहीं आयी है। राजकीय कर्मचारियों व पैंशनर्स एवं उनके परिवार के लिए डाईग्नोस्टिक सेन्टर व औषधालय पंजीकृत किए जाने हैं परन्तु अभी तक एक भी ऐसे कोई सेन्टर पंजीकृत नहीं किए गए हैं। शासनादेश में आईं टी व्यवस्था के अंतर्गत इलाज में हुए खर्च का भुगतान किया जाना है इसका मतलब है ओपीडी भी कैस लैश होगी लेकिन यह सफेद झूठ साबित हो रहा है। उन्होंने कहा कि, शासनादेश में असीमित इलाज किए जाने का उल्लेख किया है परन्तु दूसरी तरफ शासनादेश में ही इलाज के लिए पैकेज दिया गया है उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि आंखो के आपरेशन के लिए साढ़े सात हजार रुपए निर्धारित किए गए हैं जबकि आंखों के आपरेशन पर तीस हजार रुपए से भी अधिक धनराशि खर्च हो रही है । गोल्डन कार्ड के लिए पूरे देश में पच्चीस हजार से भी अधिक चिकित्सालयों को सूचीबद्ध किया गया है परन्तु प्रदेश के अन्दर सरकारी अस्पताल भी इस गोल्डन कार्ड को स्वीकार नही कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कई पैंशनर्स व कर्मचारी वर्तमान में प्राधिकरण द्वारा सूचीबद्ध चिकित्सालयों में अपना इलाज करा रहे हैं परन्तु उन्हें गोल्डन कार्ड का लाभ नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर कुछ पहुंच रखने वाले लोगों का इलाज प्रदेश से बाहर के चिकित्सालयों में बहुत आसानी से हो रहा है अभी तक तैतालीस लोग बाहर से अपना इलाज करा चुके हैं। तड़ियाल ने आगे कहा इसमें भी पैसे की बन्दर बांट हो रही है। केवल प्रचार प्रसार पर ही 2,84,77,600-रुपए खर्च किए गए। प्राधिकरण की वर्षगांठ पर करीब साठ लाख रुपए खर्च हुए प्राधिकरण के आफिस के लिए लगभग चार करोड़ रुपए का अनुबंध एक प्राईवेट कम्पनी से किया गया। उन्होंने सभी कर्मचारियों पैनशर्स व आम जनता से भी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में शरीक होने की अपील की। बैठक में वक्ताओं ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। बैठक को पूर्व प्रधानाचार्य मोहन सिंह बिष्ट देब सिंह घुगत्याल, खीमानंद जोशी, मोहन सिंह नेगी, किसन सिंह मेहता, दान सिंह बिष्ट, प्रेम सिंह बिष्ट, दामोदर जोशी, जी डी जोशी, गोविन्द राम आर्य, गंगा सिंह बिष्ट, गोपाल दत्त’ भगत,पान सिंह नेगी, ख्याली सिंह, धनीराम टम्टा, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, एस एस मावड़ी, यू डी सत्यबली, राम सिंह बिष्ट, कुन्दन सिंह बिष्ट,मदन सिंह नेगी, गंगा दत्त शर्मा, आनन्द प्रकाश लखचौराआदि लोगों ने सम्बोधित किया।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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