17 से पितृपक्ष शुरू -23 को एक ही दिन होगा षष्ठी एवं सप्तमी का श्राद्ध

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मंगलवार से पितृपक्ष प्रारंभ हो जायेंगे, जो 17 सितम्बर से प्रारंभ होकर 2 अक्टूबर को संपन्न होंगे। मगर इस बार अनन्त चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत, पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितम्बर मंगलवार को ही किये जायेंगे। चतुर्दशी दिन में दोपहर एक बजकर 43 मिनट रहेगी। तत्पश्चात पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो जायेगी जो बुधवार को प्रात:काल 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इसके बाद ही प्रतिपदा का श्राद्ध प्रारंभ हो जायेगा। ज्योतिषी अशोक वाष्र्णेय के अनुसार अनन्त चतुर्दशी, पूर्णिमा व्रत शास्त्रानुकूल 17 सितम्बर को मनाना उचित होगा। इससे पूर्णिमा का श्राद्ध वाधित नहीं होगा। पूर्णिमा का श्राद्ध 11 बजकर 40 मिनट के बाद किया जा सकता है। 18 सितम्बर को अपरान्ह व्यापिनी प्रतिपदा मिल रही है, जिसमें प्रतिपदा का श्राद्ध किया जायेगा।    तिथियों के समय में होने वाली घटा बढ़ी के कारण 23 सितम्बर को षष्ठी एवं सप्तमी का श्राद्ध एक ही दिन होगा। एकादशी श्राद्ध के दूसरे दिन श्राद्ध नहीं है । 29 सितम्बर को द्वादशी-मघा श्राद्ध  रहेगा। 2 अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों के श्राद्ध के साथ ही पितृगण अपने लोक वापस चलें जायेंगे। इन दिनों नया कारोबार, वाहन, वस्त्र, जमीन, लोहा आदि खरीदने से बचना चाहिये।

श्राद्ध तिथियां—- 17 सितम्बर-पूर्णिमा श्राद्ध,  18 सितम्बर-प्रतिपदा श्राद्ध  19 सितम्बर-द्वितीया   20 सितम्बर-तृतीया  21 सितम्बर-महाभरणी चतुर्थी श्राद्ध  22 सितम्बर-पंचमी श्राद्ध  23 सितम्बर-षष्ठी एवं सप्तमी श्राद्ध  24 सितम्बर-अष्टमी श्राद्ध  25 सितम्बर-नवमी श्राद्ध  26 सितम्बर-दशमी श्राद्ध  27 सितम्बर-एकादशी श्राद्ध  28 सितम्बर- रिक्त- 29 सितम्बर-द्वादशी श्राद्ध  30 सितम्बर-त्रयोदशी श्राद्ध   01 अक्टूबर-चतुर्दशी श्राद्ध  02 अक्टूबर-सर्वकार्याथ पितृ अमावस्या श्राद्ध  

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