लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए राहत, कोर्ट के फैसले ने सिखाया सबक

Fast News Uttarakhand - Latest Uttarakhand News in Hindi
खबर शेयर करें

देहरादून। उत्तराखंड देश में यूसीसी (समान नागरिक संहिता) लागू करने वाला पहला प्रदेश बन गया है। ऐसे में इसके अंदर शादी से लेकर जमीन-जायदाद में हिस्सेदारी और लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर भी नियम बनाए गए हैं। इस कानून में लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को लेकर यह कहा गया है कि वह ऐसी स्थिति में अपना पंजीकरण कराएं ताकि किसी भी विषम परिस्थिति में शासन-प्रशासन के द्वारा उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसको लेकर खूब विरोध किया गया। इस कानून का विरोध करने वाले लोग पहले तो यह मान ही नहीं रहे थे कि लिव इन रिलेशन जैसी कोई चीज होती है और अगर होती भी है तो इसकी जानकारी शासन-प्रशासन को देना और इसको रजिस्टर्ड कराना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है। क्योंकि किसी के साथ किसी के संबंधों की जानकारी निजी होती है ऐसे में इसे शासन-प्रसासन को मुहैया कराना राइट टू प्राइवेसी का उल्लंघन है।


अब लिव इन रिलेशन में रहने वाला एक जोड़ा उत्तराखंड हाई कोर्ट के समक्ष अपनी सुरक्षा की गुहार लेकर पहुंचा। उस जोड़े ने अदालत को बताया कि वे लिव इन रिलेशन में रह रहे हैं। ऐसे में उन्हें बार-बार परिवार वालों की तरफ से धमकी मिल रही है। जबकि हम दोनों ही बालिग हैं और हमें हमारे जीवन के बारे में फैसला लेने का पूरा अधिकार है।

फ़ास्ट न्यूज़ 👉  मौके पर जमीन ही नहीं, फिर भी कर दी रजिस्ट्री -14.75 लाख ठगे


ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट की तरफ से फैसला आया। जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि इस जोड़े को अपने आप को उत्तराखंड समान नागरिक संहिता की धारा 378(1) के तहत अपना पंजीकरण कराना चाहिए। यानी इस रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड कराना चाहिए और साथ ही प्रशासन को यह ऑर्डर किया गया कि इस जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करे। अदालत की तरफ से इस ऑर्डर में कहा गया कि आप अपने लिव इन रिलेशन को रजिस्ट्रार के पास 48 घंटे के अंदर रजिस्टर्ड करें और इसके साथ ही प्रशासन इस जोड़े की सुरक्षा को सुनिश्चित करे।

फ़ास्ट न्यूज़ 👉  बागेश्वर...ततैयों के झुंड ने महिला पर हमला -अस्पताल में इलाज के दौरान मौत


उत्तराखंड सरकार के द्वारा समान नागरिक संहिता की धारा 378(1) के अनुसार लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए यह अनिवार्य होगा कि चाहे वे उत्तराखंड के निवासी हों या नहीं हों, लिव-इन का विवरण प्रस्तुत करने के लिए धारा 378 की उपधारा (1) के तहत संबंधित रजिस्ट्रार को जिसके अधिकार क्षेत्र में वह जोड़ा रहता है अपने लिव इन रिलेशन को रजिस्टर्ड कराएं। ऐसे में उत्तराखंड हाई कोर्ट का यह फैसला ऐसे लोगों के लिए एक सबक है जो इस कानून का विरोध कर रहे थे। कोर्ट के इस फैसले से साफ हो गया है कि इस कानून में कहीं कोई परेशानी नहीं है और इसके अंदर लिव इन रिलेशन में रहनेवाले लोगों को रजिस्टर्ड होकर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करानी चाहिए। ऐसा करने पर किसी भी प्रकार से राइट टू प्राइवेसी का हनन नहीं होता है।

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के फ़ेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 कृपया नवीनतम समाचारों से अवगत कराएं WhatsApp 9412034119