आईएमईआई से छेड़छाड़ अब गैर-जमानती अपराध, तीन साल की जेल या 50 लाख रुपये जुर्माना

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नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग (DoT) ने सोमवार को स्पष्ट किया कि मोबाइल फोन के 15 अंकों वाले आईएमईआई नंबर सहित दूरसंचार पहचान से जुड़ी किसी भी छेड़छाड़ को गैर-जमानती अपराध घोषित किया गया है। इस अपराध के लिए तीन साल तक की कैद, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।

विभाग ने सभी निर्माताओं, ब्रांड मालिकों, आयातकों और विक्रेताओं को जारी एक परामर्श में दूरसंचार अधिनियम, 2023 और दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 के तहत निर्धारित नियमों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं।

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परामर्श में कहा गया है कि आईएमईआई या अन्य दूरसंचार पहचान में छेड़छाड़ कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ट्रैकिंग क्षमता को प्रभावित करती है और नकली उपकरणों को बढ़ावा देती है। इसलिए सरकार ने आईएमईआई पंजीकरण पर कड़े प्रावधान लागू किए हैं।

अधिनियम के अनुसार, मोबाइल हैंडसेट, मॉडेम, मॉड्यूल, सिम बॉक्स जैसे उपकरणों को जानबूझकर अपने पास रखना, जबकि यह पता हो कि उनमें छेड़छाड़ की गई पहचान इस्तेमाल हुई है, भी एक अपराध है। ये अपराध धारा 42(7) के तहत संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। इसके साथ ही, धारा 42(6) ऐसे अपराधों को बढ़ावा देने वालों पर भी समान दंड लागू करती है।

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दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम, 2024 किसी भी व्यक्ति को उपकरण की पहचान संख्या को हटाने, बदलने, संशोधित करने या ऐसे हार्डवेयर/सॉफ्टवेयर का उपयोग करने से रोकते हैं जो दूरसंचार पहचान में बदलाव की क्षमता रखते हों।
सरकार ने स्पष्ट किया कि प्रोग्राम करने योग्य आईएमईआई वाले उपकरणों का उपयोग स्वयं छेड़छाड़ के समान माना जाएगा और कानूनी कार्रवाई के दायरे में आएगा।

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नियमों के तहत आयातकों को किसी भी आईएमईआई युक्त उपकरण को भारत में बिक्री, परीक्षण, अनुसंधान या अन्य उद्देश्यों के लिए लाने से पहले ‘डिवाइस सेतु–आईसीडीआर पोर्टल’ पर उसका आईएमईआई पंजीकृत करना अनिवार्य है।

विभाग ने कहा कि इन नियमों का उद्देश्य दूरसंचार साइबर सुरक्षा को मजबूत करना, फर्जी उपकरणों पर रोक लगाना, कानून प्रवर्तन को सक्षम बनाना और कर अनुपालन सुनिश्चित करना है।

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