बलात्कार के मामले में नाबालिग के मुकरने के बावजूद कोर्ट ने एक व्यक्ति को दोषी ठहराया

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नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने एक असाधारण फैसला सुनाते हुए लगभग दस साल पहले 12 वर्षीय एक लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है, जबकि इस मामले में पीडि़ता अपने बयान से मुकर गई थी। अदालत ने कहा कि डीएनए और एफएसएल नतीजों जैसे निर्णायक सबूत के आधार पर आरोपी को दोषी ठहराया जाता है। आमतौर पर यौन उत्पीडऩ के मामलों में बलात्कार पीडि़ता की गवाही को मुख्य सबूत माना जाता है और यदि पीडि़ता आरोपी को क्लीन चिट दे देती है तो उसे संदेह का लाभ मिल जाता है और वह छूट जाता है। अक्टूबर 2014 में नाबालिग लड़की से हुए बलात्कार के इस मामले की सुनवाई कर रहे अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमित सहरावत ने कहा पीडि़ता हालांकि इस तथ्य से मुकर गई कि आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाये थे, लेकिन डीएनए और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के नतीजों से सच्चाई सामने आ गई है, जो कि एक निर्णायक सबूत है।

अदालत ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा कि पीडि़ता ने चिकित्सक, पुलिस और मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयानों में कहा था कि आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। अदालत के समक्ष अपने चौथे बयान में हालांकि वह मुकर गई और अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया। न्यायाधीश ने कहा कि अदालत का कर्तव्य सच्चाई का पता लगाना है और आरोपी व्यक्तियों को न्याय पालिका का मजाक उड़ाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इसने कहा कि डीएनए और एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर निर्णायक रूप से यह कहा जा सकता है कि आरोपी ने पीडि़ता के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे। अदालत ने कहा, गवाह झूठ बोल सकते हैं, लेकिन वैज्ञानिक साक्ष्य जो निर्णायक प्रकृति के होते हैं और इन्हें झूठा नहीं ठहराया जा सकता और इसलिए इन्हें खारिज नहीं किया जा सकता है। सजा पर दलीलें बाद में सुनी जाएंगी।

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