पहाड़ के बेसिक सहायक अध्यापकों की गृह जनपद की मांग ने पकड़ी रफ्तार, लम्बे समय से फंसे हैं पहाड़ों में
दया जोशी
हल्द्वानी। स्थानांतरण सत्र में शिक्षा विभाग के बेसिक शिक्षकों द्वारा लम्बे समय से मांग की जा रही है कि अन्तर्जनपदीय एवं अन्तर्मंण्डलीय ट्रांसफर खोले जायें। सरकार की दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों के दुर्गम में तैनाती के आदेशों का पालन करते हुए बेसिक शिक्षकों ने पूरी तन्मयता से पहाड़ में अपनी सेवाएं दी हैं। जनपद कैडर के बेसिक शिक्षकों ने अपना घर परिवार त्याग कर पहाड़ के दुर्गम जिलों में नौकरी तो ले ली परन्तु जनपद कैडर के जाल में फंसने पर हमेशा हमेशा के लिए पहाड़ के दुर्गम जनपदों के दुर्गम स्थलों में तैनात होकर अपनी जवानी को आग लगा ली और बुढ़ापे की बाट जोह रहे हैं। परन्तु सरकार की उदासीनता से बेसिक शिक्षकों के गृह जनपद स्थानांतरण की जायज मांग पर कोई गौर नहीं किया जा रहा। जबकि एक ही प्रदेश के समान वेतनमान और समान पदधारी मैदानी क्षेत्रों में तैनात बेसिक के सहायक शिक्षक अपने जनपद कैडर का लाभ लेकर जन्म जन्मांतर तक मैदानी जिलों की सुगम सेवाओं का आनंद ले रहे हैं। बेसिक के सैंकड़ों सहायक अध्यापक पहाड़ के दुर्गम जिलों में अपनी दुर्गम की वर्षों की वरिष्ठता को शून्य करके भी अपने गृह जनपदों में जाकर अपने पारिवारिक दायित्वों की पूर्ती करना चाहते हैं। गृह जनपद से बाहर पहाड़ी जनपदों में तैनात सैंकड़ों बेसिक सहायक अध्यापक सम्पूर्ण सेवाकाल में एक बार अपने गृह जनपद स्थानांतरण की लम्बे समय से मांग कर रहे हैं। परन्तु ट्रांसफर एक्ट में सरकार और सरकारी नुमाइंदों को इन बेसिक के सहायक अध्यापकों और गृह जनपद की मांग से कोई लेना देना नहीं है। उत्तराखंड जैसे विषय भौगोलिक प्रदेश में स्थानांतरण एक्ट के इस झोल को ठीक करने का एकमात्र तरीका है कि बेसिक शिक्षकों के जिला कैडर को बदलकर राज्य स्तरीय कैडर कर दिया जाये। जिससे प्रदेश के पहाड़ी जनपदों में लगातार शून्य छात्र संख्या के कारण बंद होने वाले स्कूलों के अतिरिक्त शिक्षकों को मैदानी जनपदों में समायोजन किया जा सकता है जिससे स्थिति सुधर सकती है। साथ ही मैदानी जिलों में पदोन्नति के लिए 20-22 साल की वरिष्ठता के बावजूद स्कूलों में प्रधानाध्यापक के रिक्त पद ना होने का रोना रोने वाले बेसिक के शिक्षकों के लिए पहाड़ी जनपदो़ में प्रमोशन के नये अवसर सृजित हो सकेंगे। तथा एक नियत अवधि के बाद उनका वापस स्थानांतरण सुविधानुसार स्थान पर है सकेगा।
कमाल की बात यह है कि कुछ दिन पूर्व अपर सचिव मुख्यमंत्री के एक आदेश ने पूरे प्रदेश के बेसिक सहायक अध्यापकों में खलबली मचा दी। आदेश में गम्भीर रोग से बीमार शिक्षकों, उनके बीमार माता पिता, उनकी बीमार पत्नी व बीमार बच्चों और दिव्यांग शिक्षको़ं के लिए भी धारा 27 के तहत संवर्ग परिवर्तन करने पर रोक लगा दी गयी। प्रदेश में समूह घ कर्मचारी भी एक जिले से दूसरे जिले में कहीं भी स्थानांतरित किया जा सकता है, जबकि बेसिक का सहायक अध्यापक जिला कैडर के तहत गम्भीर बीमारी में भी अपनी सीनियर्टी समाप्त करने के बावजूद चिकित्सा सुविधाग्रस्त जिले में संवर्ग परिवर्तन नहीं कर सकता। इससे पता चलता है कि प्रदेश की सभी पार्टियों और सरकारों के लिए बेसिक शिक्षक कितना महत्वपूर्ण है। ऐसे में इन शिक्षकों से किस प्रकार गुणवत्तायुक्त शिक्षा की कल्पना की जा सकती है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार यदि ऐसे गम्भीर महत्वपूर्ण मामलों पर भी संवर्ग परिवर्तन स्थानांतरण नहीं करेगी तो ऐसे माहौल में शिक्षकों की कार्य क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, जोकि पठन-पाठन में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से परिलक्षित होगा। सरकार को तुरंत इस मामले को गम्भीरता से लेना चाहिए। अन्यथा प्रदेश में पहाड़ बनाम मैदान का भेदभाव प्रदेश के विकास में हमेशा आड़े आता रहेगा।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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