हाईकोर्ट ने छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क माफ करने के सरकारी आदेश को चुनौती देती याचिका को खारिज करते हुए सरकार के आदेश को सही माना
नैनीताल। उच्च न्यायालय ने देहरादून के वेल्हम ब्वायज स्कूल की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क माफ करने के सरकारी आदेश को चुनौती देती याचिका को खारिज करते हुए सरकार के आदेश को सही माना है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को इस तरह का आदेश जारी करने का संवैधानिक अधिकार है। जब स्कूलों में कक्षाएं भौतिक रूप से संचालित नहीं हो रही थीं तो दून के इस विद्यालय ने 2021 की शुरुआत में जारी आदेश को रद करने के लिए याचिका दायर की थी।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी व न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि सरकार के पास निजी गैर-सहायता प्राप्त आवासीय विद्यालयों की फीस से संबंधित आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। याचिका में 2021 की शुरुआत में जारी आदेश को रद करने के मांग की थी।
सुनवाई के दौरान सरकार के अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि जब पूरा देश कोविड-19 की चपेट में था और शिक्षा संस्थान बंद थे, तब निजी गैर-सहायता प्राप्त आवासीय विद्यालय छात्रों से न केवल ट्यूशन फीस, बल्कि छात्रावास शुल्क, मेस और कपड़े धोने का शुल्क, घुड़सवारी के लिए शुल्क, विकास शुल्क, तैराकी शुल्क आदि जैसी विभिन्न अन्य श्रेणियों के तहत शुल्क भी वसूल रहे थे।
सरकारी आदेश में यह प्राविधान किया गया था कि शारीरिक कक्षाओं की अनुमति नहीं दी गई है और शिक्षा ऑनलाइन मोड के माध्यम से दी जानी है, इसलिए, स्कूल उन छात्रों से केवल ट्यूशन फीस लेंगे, जो ऑनलाइन मोड के माध्यम से निर्देश प्राप्त कर रहे हैं। सरकार के अधिवक्ता ने यह भी कहा कि सार्वजनिक भलाई के संरक्षक के रूप में अपनी भूमिका को ध्यान में रखते हुए सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा, ताकि निजी आवासीय स्कूल, अपनी प्रमुख स्थिति के कारण, छात्रों के माता-पिता, अभिभावकों को लूटने में सक्षम न हों।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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