हाईकोर्ट ने हल्दूचौड़ के गंगापुर कबडाल निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विरांगना मोहिनी की पेंशन देने के आदेश को चुनौती देती सरकार की विशेष अपील को किया खारिज

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नैनीताल। हाई कोर्ट ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की विरांगना को पेंशन देने के आदेश को चुनौती देती सरकार की विशेष अपील को खारिज कर दिया।गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में सरकार की विशेष अपील पर सुनवाई हुई। जिसमें पिछले साल अक्टूबर में एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट के आदेश के बाद सेनानी की विरांगना को पेंशन का रास्ता साफ हो गया है।

एकलपीठ ने हल्द्वानी के हल्दूचौड़ अंतर्गत गंगापुर कब्डाल निवाासी मोहिनी देवी की याचिका पर अहम आदेश पारित किया था। याचिका में कहा गया था कि उनके पति मथुरा दत्त कब्डाल 1946 में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ब्रिटिश  सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने पर जेल गए थे। उन्हें दो माह कारावास की सजा सुनाई गई थी। 1979 में पति की मौत के बाद 1980 में मोहिनी देवी ने प्रशासन के समक्ष स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पेंशन के लिए आवेदन किया। पटवारी ने भी रिपोर्ट लगाई थी।  प्रकरण शासन को भेज दिया। 2018 में गृह विभाग ने इस आधार पर आवेदन निरस्त कर दिया कि 2014 में पुराना नियम बदल गया है। जिसमें कहा है कि उसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को पेंशन दी जाएगी, जो न्यूनतम दो माह तक जेल गए हों। याचिकाकर्ता के पति दो साल से कम जेल गए हैं। एकलपीठ ने इस बदले नियम को निरस्त कर दिया था।

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