नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 10 साल की सश्रम कारावास की सजा
अल्मोड़ा। लैंगिक अपराध के एक मामले में विशेष सत्र न्यायाधीश कौशल किशोर शुक्ला ने अभियुक्त करन उर्फ कृपाल सिंह पुत्र करनैल सिंह निवासी बागनकोट थाना चसाना, रियासी जम्मू और कश्मीर को धारा-3/4 पॉक्सो अधिनियम लैगिंक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 20,000/ हजार रू0 का अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड अदा न करने पर 2 माह का अतिरिक्त कारावास से दंडित किया गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 04-मार्च 2022 को पीड़िता की तबियत खराब हुई तो पीड़िता की चचेरी बहिन वादिनी पीड़िता को जिला अस्पताल अल्मोड़ा लेकर आई जहाॅं पर डाॅक्टरों ने पीड़िता की जांच की गयी तो वह दो महीने की गर्भवती पायी गयी। पीड़िता से गर्भवती होने के सम्बन्ध में पूछा तो उसके द्वारा कुछ नहीं बताया गया तथा डाॅक्टरों के द्वारा पूछने पर भी पीड़िता ने डाॅक्टरों को भी कुछ नहीं बताया। डाॅक्टरों द्वारा उक्त मामले की सूचना पुलिस को दी गयी। पुलिस द्वारा पीड़िता से पूछताछ की गयी तो उसने कुछ नहीं बताया फिर पुलिस पीड़िता को लेकर चाईल्ड वैलफेयर कमेटी के पास लेकर गयी वहाॅं पर भी उससे पूछताछ की परन्तु उसने कुछ नहीं बताया। पुलिस पीड़िता को लेकर बाल किशोरी गृह गयी। पीड़िता की चचेरी बहिन जो मामले में वादिनी है। बाल किशोरी गृह में पीड़िता से पूछताछ की तो पीड़िता ने किराएदार के बारे में बताया। पीड़िता की चचेरी बहिन द्वारा मामले की प्रथम सूचना रिपोर्ट थाना कोतवाली अल्मोड़ा में दर्ज की गई। रिपोर्ट के आधार पर अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। विवेचना अधिकारी द्वारा विवेचना पूर्ण कर आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
इस मामले का विचारण विशेष सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा के न्यायालय में चला इस मामले में अभियोजन की ओर से आठ गवाहों को न्यायालय में परीक्षित किया गया तथा अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा, विशेष लोक अभियोजक भूपेन्द्र कुमार जोशी एवं सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शेखर चन्द्र नैल्वाल द्वारा मामले में सबल पैरवी की गई तथा दस्तावेजी साक्ष्य भी न्यायालय में प्रस्तुत किये गये। विशेष सत्र न्यायाधीश, अल्मोड़ा द्वारा पत्रावली पर मौजूद मौखिक व दस्तावेजी साक्ष्यों का परिशीलन कर अभियुक्त करन उर्फ कृपाल को पॉक्सो अधिनियम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 20,000/ हजार रू0 का अर्थदण्ड तथा अर्थदण्ड अदा न करने पर 2 माह का अतिरिक्त कारावास से दंडित किया गया है। उक्त अर्थदण्ड की धनराशि वसूल होने पर अधिरोपित अर्थदण्ड में से 15,000/रू0 पीड़िता को दिए जाने का आदेश पारित किया गया है।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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