चीतों द्वारा मिलेगा भारतीय पर्यटन को एक नया आयाम

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शिवेंद्र गोस्वामी

अल्मोड़ा। गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा अल्मोड़ा जिले के विभिन्न विद्यालयों में पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्रालय भारत सरकार के अधीन इनविस सचिवालय द्वारा पूरे देश के अधिकांश विद्यालयों, कॉलेजों, शोध संस्थानों एवं प्रकृति प्रेमियों आदि के मध्य चीता (Acinanya jnbatus ) को पुर्नस्थापित करने पर एक जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि भारत में सन् 1952 में औपचारिक रूप से चीता प्रजाति विलुप्त हो गयी थी, जो पूर्व में भारत के विभिन्न राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखण्ड, तथा दक्षिण में तमिलनाड में पूर्ण रूप से विद्यमान थी। सन् 1947 में महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव द्वारा आखिरी तीन चीता का शिकार किया गया। भारत से चीतों के विलुप्त होने का प्रमुख कराण उनका मनोरंजन के तौर पर शिकार तथा उनके आवासों पर गानदीय दखल करना माना जाता है। इन चीतों को पर्यावरण, वन एवं मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका एवं नामीचीया से 16 चीतों को लाया जा रहा है जिसकी प्रथम खेप 17 सितम्बर 2022 को भारत में चीतों की अनुकुलता एवं भोजन की उपलब्धता आधार पर मध्यप्रदेश के कूना नेशनल पार्क को चुना गया है। जहां वर्तमान में नील गाय, सुअर, लंगूर, लकड़बग्गा, हिरन, चीतल आदि विभिन्न प्रजातियों पहले से निवास कर रही है। इस कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधीन इनविस सचिवालय में श्री अरून कुमार वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार सुश्री लिपिका राय, उप निदेशक डॉ उमन्ना सारगी सह निदेशक तथा सुश्री शान्तनु सरकार सहायक निदेशक एवं श्री रजनीश श्री रंजन कुमार श्रीमती पूनम एवं श्री रवि गोस्वामी द्वारा देश भर के 60 इनविरा केन्द्रों के माध्यम से पूरे देश भर में देशव्यापी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिसके तहत विभिन्न कार्यक्रम जैसे विव पेंटिंग, स्लोगन, निबंध, रैली आदि प्रतियोगितायें आयोजित किये जा रहे है। इस उददेश्य को पूर्ण करने हेतु पर्यावरण सत्थान कोसी कटारमल के इनविस केन्द्र द्वारा अल्मोडा जिले के विभिन्न विद्यालयों में चीता के पुर्नस्थापन हेतु 12 से 16 सितम्बर तक जागरूक अभियान चलाया जा रहा है।

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इस कार्यक्रम का संचालन डॉ० परोमिता धाप, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं इनविस समन्वयक के नेतृत्व में चलाया जा रहा है। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस तरह के जागरूकता अभियानों से छात्र-छात्राओं के मध्य न सिर्फ जागरूकता बढ़ेगी बल्कि आने वाले दिनों में चीता के सरक्षण के क्षेत्र में भी अपना योगदान दे सकेंगें। इस कार्यक्रम के प्रथम चरण में राजकीय इण्टर कॉलेज स्यालीधार राजकीय इण्टर कॉलेज, हवालबाग, राजकीय इण्टर कॉलेज, अल्मोडा, राजकीय बालिका इण्टर कॉलेज, अल्मोडा, केन्द्रीय विद्यालय, अल्मोडा आदि विद्यालयों को चुना गया। सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापाको ने इस कार्यक्रम के लिए उनके विद्यालयों को चुने जाने पर खुशी व्यक्त की गयी है। इस कार्यक्रम में इनविस केन्द्र के कार्यक्रम अधिकारी डा0 महेशा नन्द द्वारा स्लाइड शो के माध्यम से छात्र-छात्राओं को चीता को पुर्नस्थापित करने तथा पारिस्थितिकी में चीता की भूमिका विषय पर व्याख्यान दिया तथा इस कार्यक्रम को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए सोशल मिडीया प्लेटफॉर्म पर सूचना अधिकारी श्री कमल टम्टा द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम हेतु पर्यावरण संस्थान के निदेशक प्रो० सुनील नौटियाल एवं केन्द्र प्रमुख सामाजिक आर्थिक विकास केन्द्र ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा है कि ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से विज्ञान को आम जनमानस तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

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