डीपीसी के बाद भी वगैर प्रमोशन रिटायर हुए नगन्याल -लेखा परीक्षा सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष रमेश पाण्डे ने की निन्दा

खबर शेयर करें


देहरादून। आडिट विभाग के आठ अधिकारियों की पदोन्नति हेतु 28 मार्च को डीपीसी हो जाने के बाद भी आदेश जारी नहीं होने से एक वरिष्ठ अधिकारी वगैर प्रमोशन के ही रिटायर हो गये।  डीपीसी के तुरन्त बाद से ही वित्त मंत्री से फाइल में अनुमोदन लेने के लिए अधिकारी भागदौड़ में जुटे थे, लेकिन अनुमोदन नहीं हो सका।


संयुक्त निदेशक के पद पर प्रमोशन हेतु चयनित हो जाने के बावजूद 25 साल से उपनिदेशक पद पर तैनात सोबन सिंह नगन्याल 31 मार्च को वगैर प्रमोशन के ही रिटायर हो गये। नगन्याल के पास  विगत 3-4 साल से राष्ट्रीय बचत निदेशालय के संयुक्त निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार था। उनकी सेवानिवृत्ति पर निर्वाचन भवन में आयोजित विदाई समारोह में आडिट एवं बचत निदेशालय के सभी अधिकारी और कार्मिकों के अलावा उनके परिजन उपस्थित थे।

फ़ास्ट न्यूज़ 👉  जागेश्वर धाम में श्रद्धालुओं ने काटा हंगामा, पुलिस ने काटा चालान

हालांकि विभागीय अधिकारियों व कार्मिकों में डीपीसी के बाद भी प्रमोशन न हो पाने की टीस साफ नजर आ रही थी, लेकिन उनके परिजनों ने इसे नजरअंदाज कर पूरे माहौल को खुशनुमा बना दिया। जहां एक ओर सचिव वित्त डॉ. एसएन पाण्डे ने उन्हें शॉल पहनाकर व प्रतीक चिह्न भेंट किये, वहीं उनके अनुज जीवन सिंह  नगन्याल जो अपर आयुक्त कुमाउं मंडल हैं, उन्होंने अपने हाथों से उनके सिर पर नौ मीटर लम्बी सफेद रंग की पगड़ी बांधी और सभी परिजनों ने परम्परागत तरीके से नाच-गाने व हर्षोल्लास के साथ उनका स्वागत किया। चयन के बाद भी नगन्याल  की पदोन्नति नहीं होने पर उत्तराखण्ड कार्मिक एकता मंच  के संस्थापक अध्यक्ष एवं उत्तराखण्ड  लेखा परीक्षा सेवा संघ के पूर्व अध्यक्ष रमेश चंद्र  पाण्डे ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि बेवजह रोके गए प्रमोशन के मामलों में जवाबदेही तय करने के लिए उन्होंने सरकार के सामने आडिट विभाग का उदाहरण रखा था, मगर इसे नजरअंदाज किया जाता रहा और दर्जनों कार्मिकों के वगैर पदोन्नति के रिटायर होने से क्षुब्ध  होकर एकता मंच ने जवाबदेही और न्याय के लिए  चितई स्थित न्याय के प्रतीक गोलज्यू के मन्दिर में भी फरियाद की थी। उन्होंने कहा कि नगन्याल की पदोन्नति के लिए सचिव वित्त एवं निदेशक आडिट डॉ. सुरेंद्र नारायण पाण्डे ने हरसंभव प्रयास किए, लेकिन वित्त मंत्री की संवेदनहीनता के चलते यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई जो निन्दनीय है।

फ़ास्ट न्यूज़ 👉  महिला पुलिसकर्मी के बाद अब सम्मोहन गिरोह ने कॉलेज की प्रोफेसर को अपने जाल में फसाने का किया प्रयास

कहा कि राज्य गठन के बाद से ही खाली चल रहे संयुक्त निदेशक के पद पर वे 22 साल से पदोन्नति की बाट जोह रहे थे। अपर सचिव वित्त डॉ. इकबाल  अहमद की अध्यक्षता में 28 मार्च को हुई डीपीसी में संयुक्त निदेशक के पद पर विपिन बिहारी लाल और सोबन सिंह नगन्याल का चयन हुआ।  जबकि उप निदेशक के पद पर वीके सिंह, मनोज कुमार सिंह, विजय प्रताप सिंह, रघुराज सिंह,  तरुण पाण्डे और इन्दिरा भट्ट का चयन हुआ था। 

Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad Ad
सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के फ़ेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 कृपया नवीनतम समाचारों से अवगत कराएं WhatsApp 9412034119