गौला नदी खुलते ही हाईवे 87 जाम-लोगों की फजीहत, प्रशासन का अता-पता नहीं-

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मोटाहल्दू(नैनीताल)। गौला नदी खुलते ही राष्ट्रीय राजमार्ग में पहले दिन ही जाम लगना शुरू हो गया है। गोरापड़ाव राष्ट्रीय राजमार्ग देर सायं जाम घंटों जाम से बाधित रहा। चौराहे पर व्यवस्था ना होने से गौला से आने वाले वाहन आड़े-तिरछे खड़े हो गए। जिससे राजमार्ग में राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि दोपहिया वाहन तक जाम में फंस गए। कई दोपहिया वाहनों को गांवों के संपर्क मार्गों से गुजरना पड़ा। इस दौरान राजमार्ग में एंबुलेंस का साइरन बजता रहा, लेकिन वाहन टस से मस नहीं हुए। विदित हो कि खनन सत्र 2021-22 के लिए गौला नदी से उपखनिज की निकासी शुरू हो चुकी है।

वैसे तो गौला नदी से निकासी काफी दिनों से शुरू हुई है, लेकिन स्टोन क्रसर स्वामियों व वाहन स्वामियों में भाड़े को लेकर सहमति नहीं बन रही थी। इसलिए अधिकतर वाहन उपखनिज के लिए नदी में प्रवेश नहीं कर सके। राष्ट्रीय राजमार्ग के आसपास स्टोन क्रसर होने से डंपरों की आवाजाही दिनभर लगी रहती है। अधिकतर वाहनों में बिना लाइसेंन्स के बिहार के मजदूर चालक हैं। बिहार के मजदूर चालक आसानी से कम पैसे में उपलब्ध हो जाते हैं। लेकिन मुशीबत तब बनते हैं, जब कोई दुर्घटना हो जाती है। विदित हो कि वन विभाग प्रतिदिन लाखों में रोड टैक्स बसूलता है। लेकिन गौला के सड़कों की दशा ऐसी है कि पैदल चलने वालों को हमेशा जान हथेली पर रखकर चलना पड़ता हैै। वहीं प्रदूषण की बात करें तो कई अधिकर डंपरों चालकों ने साइलेंसर नीचे की तरफ किए हैं, जिससे पीछे से आने वाहन घूल के गुब्बारे से उससे आगे ना जा सके। वहीं स्टोन क्रसर स्वामी भी अपने हित के लिए लोगों को धूल से बीमारी दे रहे हैं। जबकि नियमित पानी का छिड़काव स्टोन क्रसर स्वामियों को अपने आसपास किए जाने के आदेश हैं, वहीं गौला मार्ग में वन विभाग की जिम्मेदारी है वह प्रदूषण से बचाव को छिड़काव कराएं। शासन-प्रशासन को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे, नहीं तो आम आदमी कभी भी दुर्घटना का शिकार हो सकता है।

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