गौवंशीय जानवरों के नाम पर वोट की राजनीति कर रही भाजपा सरकार : उपाध्याय

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रुद्रपुर। उत्तराखंड प्रदेश के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने प्रेस को जारी विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा सरकार गौवंशीय जानवरों के नाम पर वोट की राजनीति करती है तथा आवारा पशुओं के लिए किसी भी प्रकार की कोई भी व्यवस्था नहीं कर रही। सड़कों पर मंडराते बेसहारा गौवंशीय पशुओं से सड़क हादसों में सम्पूर्ण प्रदेश में दर्जनों लोगों की मृत्यु हो चुकी है। दोपहिया वाहन चालक मवेशियों को बचाने के चक्कर में फिसल जाते हैं जिससे लगातार दुर्घटनायें हो रही हैं लेकिन जिम्मेदार सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही हैं। पिछले दिनों हल्द्वानी हाईवे पर गोकुलनगर तथा अन्य स्थानों पर सड़क हादसों में दो युवकों सहित तमाम अन्य लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि प्रदेश में दर्जनों लोगों की मृत्यु इन आवारा पशुओं की चपेट में आने से हो चुकी है। वहीं किसानों की फसलों को 20 प्रतिशत नुकसान इन आवारा पशुओं के कारण हो रहा है, जिससे किसान खेती से दूरी बनाते जा रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा बेसहारा पशुओं के लिए गौशालाओं की व्यवस्था की जानी चाहिए। खेती का रकबा बढ़ने, चारे की समस्या बढ़ने, पशुपालकों के निष्प्रयोज्य पशुओं को लावारिस छोड़े जाने, कांजी हाउसों की व्यवस्था नहीं होने से यह समस्या दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही है। हर चौक, चौराहे, तिराहे पर पशु लावारिस घूमते देखे जा सकते हैं। नगर के अतिव्यस्ततम क्षेत्रों में तो लावारिस पशुओं की समस्या बड़ा सिरदर्द बन गई है।

गाय, बैल और सांड लोगों को नुकसान पहुंचाने के साथ ही हादसों का सबब बन गये हैं।लावारिस पशुओं के आतंक वाले क्षेत्रों को चिन्हित किया जाये तथा आवारा जानवरों के संरक्षण का कोई प्रबंध किया जाना चाहिए। किसान लावारिस पशुओं से फसलों को बचाने के लिए दिन-रात खेतों की रखवाली करने पर मजबूर है। हादसों में मरने वाले आवारा पशुओं के सड़े गले शवों को दफन करने की उचित व्यवस्था की जानी चाहिए। अन्यथा इनके शवों की दुर्गंध व बीमारियों से मानव जीवन भी संकट में पड़ सकता है। पशु मालिक दूध निकालकर अपने पशुओं को बाहर घूमने को छोड़ देते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए। यदि किसी बेसहारा पशु के हमले या उसके कारण दुर्घटना में किसी की मौत होती है तो प्रदेश सरकार को मृतक के परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक मदद देनी चाहिए।उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में राज्य सरकार को जारी 31 निर्दशों में स्पष्ट रुप से कहा कि वह राज्य में गायों के कानूनी संरक्षक के रूप में कार्य करेगा। साथ ही माननीय हाईकोर्ट उत्तराखण्ड ने राज्य सरकार को जारी 31 निर्देशों में गौशालायें स्थापित करने तथा अपने मवेशियों को छोड़ने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने, गौवध रोकने के निर्देश दिए। परन्तु राज्य सरकार द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के एक भी दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। वह जल्द ही माननीय उच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का राज्य सरकार द्वारा पालन ना करने पर हाईकोर्ट की शरण लेंगे।

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