ब्लैक फंगस का कहर भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, राज्य में ब्लैक फंगस से आज दूसरी मौत
ऋषिकेश। उत्तराखंड में ब्लैक फंगस का कहर भी धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है, राज्य में ब्लैक फंगस से आज दूसरी मौत हुई है।
एम्स ऋषिकेश में अब तक ब्लैक फंगस के कुल 30 मरीज भर्ती हो चुके हैं जिनमें 2 मरीजों की मृत्यु हो चुकी है एक स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो चुका है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज देर शाम ऋषिकेश एम्स में भर्ती अलीगढ़ यूपी निवासी एक 72 वर्षीय महिला की मौत हो गई। इससे पहले देहरादून निवासी 36 युवक की मौत भी ब्लैक फंगस के चलते हो चुकी है।
आज मंगलवार देर शाम तक एम्स ऋषिकेश में म्युक्रोमैसिस (ब्लैक फंगस) से ग्रसित कुल 30 मरीज भर्ती हो चुके हैं। जिनमें से अलीगढ़ यूपी निवासी एक 72 वर्षीया महिला की आज मृत्यु हो गई। जबकि एम्स में भर्ती ऋषिकेश निवासी एक अन्य 81 वर्षीया महिला को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है।
शेष 27 मरीजों का उपचार चल रहा है।
इनमें से कुल 11 मरीजों की सर्जरी होनी बाकी हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के लक्षण
-मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है।
-आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है।
-मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
-खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार होता है।
-मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है।
-दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है।
-इतना ही नहीं कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है।
-मरीजों को सीने में दर्द होता है।
-स्थिति बेहद खराब होने की स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है।
घातक संक्रमण से बचाव के लिए यह बरतें सावधानी
-धूल भरे निर्माण स्थलों पर जाने पर मास्क का प्रयोग करें।
-मिट्टी (बागवानी), काई या खाद को संभालते समय जूते, लंबी पतलून, लंबी बांह की कमीज और दस्ताने पहनें।
-साफ-सफाई व व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें।
-कोविड संक्रमित मरीज के डिस्चार्ज के बाद और मधुमेह रोगियों में भी रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करें।
-स्टेरॉयड का सही समय, सही खुराक और अवधि का विशेष ध्यान दें।
-ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडिफायर के लिए स्वच्छ, जीवाणु रहित पानी का उपयोग करें।
-फंगल का पता लगाने के लिए जांच कराने में संकोच न करें।
-नल के पानी और मिनरल वाटर का इस्तेमाल कभी भी बिना उबाले न करें।
क्या है ब्लैक फंगस
म्यूकोर्मिकोसिस को काला कवक के नाम से भी पहचाना जाता है। इसका संक्रमण नाक से शुरू होता है और आंखों से लेकर दिमाग तक फैल जाता है। इस बीमारी में में कुछ गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए उनकी आंखें तक निकालनी पड़ती है। इस फंगस को गले में ही शरीर की एक बड़ी धमनी कैरोटिड आर्टरी मिल जाती है। आर्टरी का एक हिस्सा आंख में रक्त पहुंचाता है। फंगस रक्त में मिलकर आंख तक पहुंचता है। कई गंभीर मामलों में मस्तिष्क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो सकता है।
फंगल इंफेक्शन से गाल की हड्डी में एक तरफ या दोनों दर्द हो सकता है। यह फंगल इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे ब्लैक फंगल इंफेक्शन किसी व्यक्ति को अपनी चपेट में लेता है, तो उसकी आंखों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इसके कारण आंखों में सूजन और रोशनी भी कमजोर पड़ सकती है। फंगल इंफेक्शन मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है, जिससे भूलने की समस्या, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं आ सकती हैं।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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