पेंशन से जबरन कटौती उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन : तड़ियाल

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एस आर चंद्रा

उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करेंगे पेंशनर्स

   भिकियासैण (अल्मोडा़) उत्तराखंड गवर्नमेंट पेंशनर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में कहा है कि, सरकार ने पैंशनर्स की पेंशन से कटौती कर मा0 उच्च न्यायालय के आदेश का उलंघन किया है। उन्होंने कहा एक जनहित याचिका में 15 दिसंबर 2021 तथा एक अन्य याचिका में 21 दिसंबर को स्थगन आदेश पारित किया है, मा0 उच्च न्यायालय द्वारा अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि पेंशनर्स की सहमति लिए वगैरह पैंशन से कटौती संविधान की धारा 300ए का स्पष्ट उलंघन है।मा0 न्यायालय द्वारा 31 दिसंबर 2020 के उस शासनादेश पर भी रोक लगा दी जिसके अनुसार कटौती हो रही थी। न्यायालय के इस आदेश के बाद सरकार ने तत्काल दिसंबर महीने से ही कटौती बन्द कर दी, परन्तु न्यायालय के किसी निर्णय आने से पूर्व सरकार ने पुनः सितंबर महीने की पेंशन से पूरे दस महीने की एकमुश्त कटौती कर दी है।

त्यौहारों के इस सीजन में प्रदेशभर के पैंशनर्स आर्थिक परेशानी से जूझ रहे हैं। पिछले 25 अगस्त को एक इश्तिहार निकालकर एक माह के अंदर पैंशनर्स से योजना में सम्मिलित नहीं होने का विकल्प मांगा गया था, जबकि सरकार को योजना में सम्मिलित होने के लिए एक महीने का समय देना चाहिए था सरकार ने अपने इश्तिहार को ही पैंशनर्स की सहमति मान लेना कहां तक न्यायोचित है, यह सब एक षड्यंत्र के तहत किया गया।  प्राधिकरण के सीईओ श्री अरुणेंद्र चौहान के एक बयान के अनुसार अभी तक 16800 लोगों ने योजना में सम्मिलित नहीं होने का विकल्प दिया है। श्री तड़ियाल ने सीईओ के इस आंकड़े को झूठ पर आधारित बताया उन्होंने कहा अभी तक करीब 50 हजार से भी अधिक लोगों ने इस योजना को छोड़ने का फैसला किया, परन्तु सरकार ने धोखे से उनकी पैंशन से भी कटौती कर दी है उन्होंने कहा अभी तक मात्र 7444 लोगों ने योजना में बने रहने की सहमति दी है। लगभग सवा लाख से भी अधिक लोगों को एक षड्यंत्र के तहत योजना में शामिल करने की कोशिश की गई है। श्री तड़ियाल ने प्राधिकरण के सीईओ श्री अरुणेंद्र चौहान के उस बयान को भी भ्रामक बताया  जिसमें सीजीएचएस योजना में सम्मिलित नहीं होने वाले पैंशनर्स को पूर्व से चल रही चिकित्सा प्रतिपूर्ति की सुविधा दी जाएगी उन्होंने कहा कि इस शासनादेश को 25 नवंबर 2021को जारी शासनादेश से निरस्त किया जा चुका है। उन्होंने कहा हमें अपने देश की न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है, बहुत जल्दी मा0 उच्च न्यायालय में अवमानना वाद दायर करेंगे, हम किसी भी सूरत में सरकार के मंसूबे पूरे नहीं होने देंगें।
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