गंगोलीहाट का व्यापार मंदी की मार झेल रहा है, जीएसटी कोराना व ऑनलाइन व्यापार से हुआ कारोबार ठप

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-छोटा व्यापारी व्यापार छोड़ने को मजबूर
-डबल इंजन की सरकार ने छोटे व्यापारियों की अनदेखी की

कविता रावल
गंगोलीहाट का बाजार दिन प्रतिदिन ग्राहकों से दूर होता जा रहा है और कई मिडिल क्लास व्यापारी व्यापार छोड़ गांवों की ओर रुख कर चुके हैं । अधिकांश व्यापारी दिन भर धूप सेंकने को मजबूर हैं और दिन भर ग्राहकों के इंतजार में रहते हैं लेकिन बाजार से ग्राहक नदारद है और व्यापारी बैंक व बनियों तथा कर्मचारियों के भुक्तान को लेकर विगद तीन वर्षो से संघर्ष कर रहा है । जब से केंद्र सरकार ने नोटबंदी की उसका असर बाजार पर बहुत तेजी से पड़ा और बाजार में रुपया आना ही कम हो गया वही मध्यक्रम के व्यापारी जीएसटी लागू होने के बाद से और अधिक व्यापार करने में असमर्थ होते गए । रही सही कसर ऑनलाइन व्यापार ने व्यापारियों की कमर ही तोड़ दी अधिकांश लोग ऑनलाइन खरीददारी कर रहे हैं और जबकि लोकल व्यापारी स्थानीय ग्राहकों को उधार तक सामान देते हैं पर समझ में नहीं आ रहा है कि आँखिर मध्यम वर्गीय व्यापारियों को डबल इंजन की सरकार कोई भी ऐसी योजना नही दे पा रही है जिससे मध्यक्रम का व्यापारी व्यापार को मंदी से उबार पाए जबकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में सबसे अधिक सहयोग मध्यक्रम का व्यापारी ही कर रहा है आज राज्य व केंद्र सरकार के पास रिकार्ड तोड जीएसटी जमा हो रही है जिसमे मध्यक्रम का व्यापारी ही सबसे अधिक सहयोग कर रहा है । इधर केंद्र व राज्य सरकार व्यापारियों के टैक्स से आ रहे पैसे को अन्य योजनाओं में खर्च कर वाह वाही ले रही है लेकिन व्यापारियों को लेश मात्र भी किसी ऐसी योजना को नही दे रही है जिससे खत्म हो चुके मध्यम वर्गीय व्यापारियों का व्यापार उठ पाए । जबकि देश के विकाश में सर्वाधिक सहयोग व्यापारियों का ही होता है क्योंकि व्यापारी ही सर्वाधिक टैक्स सरकारों को देते है ।

रेडीमेड व जूते के व्यापारी सष्टि पंत कहते हैं की विगत 3 वर्ष से गंगोलीहाट का व्यापार मंदी की मार झेल रहा है वह कहते हैं व्यापारी टैक्स , उधार मदद सहित हर सामाजिक कार्य में हमेशा पूर्ण सहयोग करता है । इधर सपना फोटो स्टूडियो के स्वामी रणजीत बोहरा कहते हैं कि मंदी इतनी है कि कभी कभी बोनी तक नही होती है । वही जोशी मिष्ठान भंडार के स्वामी सोनू जोशी कहते हैं कि इतनी मंदी उन्होंने दशकों से नही देखी जो बिगद तीन वर्षो से देखने को मिल रही है वे कहते हैं सरकार को मझौले व्यापारियों के लिए कोई न्यूनतम ब्याज वाली व सरल ऋण योजना की स्कीम देनी चाहिए ताकि व्यापारी को व्यापार उठाने में मदद मिल सके । इधर भाजपा को बनियों की पार्टी कहा जाता है और बनियों ने इस पार्टी को इस मुकाम तक आज पहुंचाया भी है लेकिन दुखद यह है कि जिस पार्टी को व्यापारियों ने देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाया आज उसी डबल इंजन की सरकार में मध्यक्रम के व्यापारी का व्यापार खत्म होने की कगार पर है । क्या आने वाले वक्त में डबल इंजन की सरकार मध्यक्रम के व्यापारियों को उबारने के लिए कुछ योजनाओं की सौगात देगी जिससे खत्म हो चुके बाजार में फिर से रौनक लौट सके या मध्य क्रम का व्यापारी मंदी की मार से व्यापार छोड़ने को विवस होगा ।

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