प्रदेश के सभी नगर पालिका क्षेत्रों में छह माह में विद्युत शवदाह गृह स्थापित करे सरकार : हाईकोर्ट

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नैनीताल । उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोरोना से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं को लेकर दायर की गई  20 जनहित याचिकाओं में सुनवाई की। मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने सभी मामलों को सुनने के बाद इन याचिकाओं को अंतिम रूप से निस्तारित कर दिया।   

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिये हैं कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी नगर पालिका परिक्षेत्रों  में विद्युत शवदाह गृह  छः माह के भीतर स्थापित कर उसकी रिपोर्ट हर माह कोर्ट में पेस करें। मामले के अनुसार  ज्वालापुर हरिद्वार निवासी ईश्वर चन्द्र वर्मा ने जनहित याचिका दायर कर कहा  था कि कोरोना  के समय हरिद्वार में शवों का दाह संस्कार  करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नही हो पा रही हैं। जिसकी वजह से श्मशान घाटों में शवों को अधजला  छोड़ दिया जा रहा है। हरिद्वार के खड़खड़ी में उत्तर प्रदेश  सरकार ने 25 साल पहले  शवों का दाह संस्कार करने के लिए एक विद्युत शवदाह गृह लगाया गया था । जिसका संचालन अभी तक राज्य सरकार ने नहीं किया।   दाह संस्कार सेवा समिति के कार्यकर्ता दुर्गेश पंजवानी का यह भी कहना है कि लकड़ी से दाह संस्कार करने में ढाई – 3 हजार रुपये  का खर्चा आता है । कभी लकड़ियां न मिलने पर लोग शव को नदी में ऐसे ही बहा देते हैं । जिसकी वजह से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा है। अगर विद्युत शवदाह गृह संचालित किया जाता है तो एक एक शव दाह संस्कार करने  के लिए 500 रुपये का खर्चा व एक घण्टे का समय लगता है। लकड़ी से  शव दाह संस्कार  करने के लिए 3 से साढ़े तीन घण्टे का समय लगता है। याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की है कि प्रदेश के सभी नगरपालिकाओं में एक विद्युत शवदाह गृह बनाया जाय।

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