हरियाली और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है हरेला

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हरेला, उत्तराखंड का एक महत्वपूर्ण लोकपर्व है, जो हरियाली और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है।यह त्यौहार फसल की अच्छी पैदावार और समृद्धि की कामना के साथ मनाया जाता है। हरेला, पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ सद्भावपूर्ण संबंध बनाए रखने के महत्व को भी दर्शाता है। 

हरेला का महत्व:

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कृषि और समृद्धि का प्रतीक:हरेला, अच्छी फसल और समृद्धि का प्रतीक है, और इसे अच्छी फसल की कामना के साथ बोया जाता है। 

पर्यावरण संरक्षण:यह त्यौहार पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के महत्व को भी दर्शाता है। 

सांस्कृतिक महत्व:हरेला, उत्तराखंड की संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न अंग है। 

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पारिवारिक और सामुदायिक उत्सव:यह त्यौहार परिवार और समुदाय के बीच एकजुटता और खुशी का प्रतीक है। 

शुभ शुरुआत: हरेला, सावन के महीने की शुरुआत का प्रतीक है, जो उत्तराखंड में एक महत्वपूर्ण समय माना जाता है। 

पौधरोपण: हरेला के दिन पौधे लगाने की परंपरा है, जो पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी को बढ़ावा देती है। 

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हरेला को “हरियाली” या “हरित दिवस” के रूप में भी जाना जाता है, जो इस त्यौहार के प्रकृति और हरियाली के महत्व को दर्शाता है। यह त्यौहार, भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह का भी प्रतीक माना जाता है।

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