रिजर्व फारेस्ट एरिया में खनन कार्य की अनुमति प्राइवेट लोगों को देने पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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नैनीताल ।  उत्तराखंड हाई कोर्ट ने आरक्षित वन क्षेत्र में निजी लोगों को खनन कार्य की अनुमति दिए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद मुख्य न्यायधीश विपिन सांघी व न्यायमुर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार से एक सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश देते हुए कहा कि अगर एक सप्ताह में जवाब पेश नहीं किया जाता है तो 25 हजार  रुपये का जुर्माना राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा किया जाय। मामले की अगली सुनवाई 27 सितम्बर की तिथि नियत की है। 

 पिछली तिथि को कोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा था । परन्तु आज तक  जवाब पेश नहीं करने पर कोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह का और समय दिया है।  मामले के अनुसार बाजपुर निवासी रमेश कम्बोज ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार रिजर्व फारेस्ट एरिया में खनन कार्य की अनुमति प्राइवेट लोगों को दे दी है।

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इसमें ये लोग मानकों के अनुरूप खनन नहीं करते है। जो उच्च न्यायलय द्वारा 2014 में दिए गए आदेश के खिलाफ है। सरकार रिजर्व फारेस्ट में खनन कार्य प्राइवेट लोगों को नहीं दे सकती। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति लेनी आवश्यक होती है और सरकारी एजेंसियां ही खनन कर सकती है। 2015 में राज्य सरकार की  विशेष अपील  सुप्रीम कोर्ट से निरस्त हो गयी थी। राज्य सरकार इस आदेश के बाद भी प्राइवेट लोगों को रिजर्व फारेस्ट में खनन के पट्टे दे  रही है इसलिए इस पर रोक लगाई जाए।

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