रानीखेत विधान सभा में इन दिनों दर्जन से भी अधिक दावेदार ठोक रहे है ताल-

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गाँव -गाँव में अपनी -अपनी तरफ से रिझाने में लगे है उम्मीदवार-

भिकियासैंण। (एस आर चन्द्रा)। रानीखेत विधानसभा क्षेत्र में इस बार भाजपा का सरदर्द बढ़ता जा रहा है | आगामी विधानसभा चुनावी घमासान में उसे विपक्षी दल से अधिक अपने ही दावेदारों से चुनौती मिलती लग रही है | विपक्षी दलों के तो एक एक ही प्रत्याशी मैदान में होंगे, लेकिन भाजपा के अपने ही उम्मीदवार अनेकों हो जायेंगे, जिनको बड़े नेताओं ने टिकट दिलाने का आश्वासन देकर क्षेत्र में संपर्क करने भेज रखा है |
क्षेत्र में घूम रहे नए -नए भाजपाई चेहरों और प्राप्त सूचनाओं के अनुसार अभी तक टिकट के लिए दर्जन भर से अधिक दावेदार मैदान में ताल ठोक रहे हैं | भाजपा के स्थानीय इकाई पदाधिकारियों का सिरदर्द भी बढ़ता जा रहा है, हालाँकि कुछ नेता धन दौलत से भरपूर होने के कारण इन कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में साथ घुमाने में सफल हो रहे हैं, लेकिन जनता जिस प्रकार चुप्पी साधे हुए है, उससे लगता है कि वह कहीं न कहीं अपना मन बना चुकी है,और सभी से हाँ पर हाँ कह रहा है| एक बात यहाँ पर और गौर करने वाली है कि जिस प्रकार से यहाँ पर वर्तमान कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष से जनता नाराज है,और हर बार विधायक बदलने का क्रम भी है उससे दावेदारों की होड़ बढ़ गयी है | यहाँ तक कि कई दावेदारों ने महिला आरक्षण की सम्भावना देखते हुए अपनी पत्नी को भी मैदान में जन संपर्क करने हेतु उतारा हुआ है |
दर्जन भर से अधिक दावेदारों को देखें तो पिछले चुनावों में निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ कर लगभग छः हजार वोट लेकर तीसरे नंबर पर रहे डॉ प्रमोद नैनवाल बहुत मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं, पिछले पांच साल से लगातार क्षेत्र में घूम रहे हैं कोरोना काल में भी वह क्षेत्र में लगातार गाँव गाँव घूम कर सैनेटाईजर मास्क व राशन वितरण करते आ रहे हैं | कोरोना वाँरियर्स को सम्मानित करते हुए उन्होंने अलग अलग पूरे शेत्र में युवाओं की मजबूत टीम खड़ी की हुयी है | लेकिन उनकी कमजोरी ये है कि वह पार्टी के पूर्व अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट की आँख की किरिकिरी बने हुए हैं उनको द्वारा दो बार पार्टी से निष्काषित भी किया गया है,फिर किसी प्रकार कभी सांसद चुनाव कभी सल्ट उप चुनाव के कारण पार्टी में अन्दर बाहर ले लिए गये। लेकिन इस दौरान किसी अन्य पार्टी में न जाना उनके पक्ष को मजबूत भी बनाता है | पिछले चुनाव से पहले उनके द्वारा चलाया गया नशा विरोधी अभियान के कारण आस पास के अन्य विधान सभा क्षेत्रों द्वाराहाट, सल्ट और उधर नैनीताल के बेतालघाट पर भी अच्छा खासा असर रखते हैं | उनकी पत्नी भी भिकियासैंण की पूर्व ब्लॉक प्रमुख हिमानी नैनवाल लगातार विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण पर हैं |


इनके बाद दूसरे नंबर पर क्षेत्र में पदार्पण हुआ था, कैलाश पन्त का जो पार्टी संगठन में बड़े नेताओं से अच्छी पहचान रखते बताये जाते हैं,और क्षेत्र में भी जन संपर्क करते रहते हैं | वहीँ रानीखेत के जिला पंचायत सदस्य धन सिंह रावत भी दौड़ में शामिल हैं। कमोबेश जनता में संपर्क आदि करते रहते हैं कोरोना काल में भी सक्रीय रहे हैं | समाचार के अनुसार उनकी पत्नी बिमला रावत ने भी अपनी दावेदारी का आवेदन पत्र दिया हुआ है |

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जिस जिस प्रकार से दिन गुजरते जा रहे हैं नए नए उम्मीदवार कोई देहरादून कोई हल्द्वानी कोई अल्मोड़ा से यहाँ आते जा रहे हैं | नए पोस्टर फ्लैक्सी में हाथ जोड़े चेहरे क्षेत्र में चारों तरफ दिखने लगे हैं इस मामले में सभी संभावित उम्मीदवारों ने अपनी ओर से कोई कोर कसर नही छोड रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों से हल्द्वानी के व्यवसायी महेंद्र अधिकारी के भी क्षेत्र में आगमन जोरों पर है, पर उन्हें टिकट मिलने की भी चर्चा भी जोरों से हो जाती है | हालाँकि उनसे पहले यहाँ पूर्व सेवा निवृत्त सैनिक और पार्टी संगठन में पदाधिकारी टीडी शर्मा, गोपाल उप्रेती, अल्मोड़ा से प्रो. वीडीएस नेगी, पूर्व सांसद बचे सिंह रावत के सुपुत्र शशांक रावत, पूर्व सीएम के ओएसडी जगदीश चन्द्र खुल्बे आदि चुनाव लड़ने के आकांक्षी नेता क्षेत्र में अपने -अपने दावे कर रहे हैं | कुछ समय पहले तक केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट की पत्नी पुष्पा भट्ट का भी नाम भी चर्चाओं में चल रहा था |
पार्टी नेताओं का सिरदर्द ये है कि टिकट देने के लिए सर्वे को आधार बनाते हैं तो एक बड़े नेता नाराज होते हैं क्योंकि सर्वे की सूचना के अनुसार पहले नंबर पर रहे दो तीन उम्मीदवार ही मजबूत हैं,लेकिन उनमे भी अगर सभी में आपस में सहमति बनती है तो भाजपा पार्टी जीत की ओर अग्रसर हो सकती है, वर्ना निर्दलीय लड़ने पर पार्टी तो नहीं जीत सकती है, लेकिन कांग्रेसी विधायक की एंटी इनकम्बेंसी के कारण जिसने पूरी तैयारी की हुयी है वह भाजपा का निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत सकता है, इसमें प्रमोद नैनवाल के प्रति जनता की सिम्पैथी भी उनके प्रति है | और अगर कहीं दो हजार बारह वाली स्थिति हो गयी तो, पार्टी को काफी महंगा पड़ेगा कि जो विधायक उनकी पार्टी का हो सकता था, वह निर्दलीय बनकर खड़ा है, और विरोधी खेमे में जा सकता है | इसलिए पार्टी के लिए यह विधान सभा क्षेत्र बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ है |

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