गंगोलीहाट में पुष्ड़िया के त्यौहार के लिए घुगते बनाए गए

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-हाटकाली व जान्हवी नौले में मकर संक्रान्ति के लिए की गई सफाई

कविता रावल
पौष माह के आँखरी दिन सैकड़ों वर्षों से कुमाऊं में पुष्ड़िया का त्यौहार मनाया जाता है जिसकी तैय्यारी दोपहर से ही शुरू हो जाती है इस त्योहार को घुघुती त्यार के नाम से भी जाना जाता है । इस दिन आटे में गुड़ मिलाकर घुघुते , खजुर, डमरू , तलवार , लौंग, आदि कई आकृति के पकवान बनाए जाते हैं और शाम को त्योहार मनाया जाता है । बच्चों के लिए घुघुते की माला बनाई जाती है जिसमे नारंगी फल को भी पिरोया जाता है । मकर संक्रांति की प्रातः बच्चे गले में माला डालकर कौव्वे को बुलाते हैं और उसे घूघते , बढ़े, पूरी आदि खिलाते हैं । शनिवार को खिली धूप में महिलाओं और बच्चों ने घुघुते बनाए।

इधर मकर संक्रांति की तैयारी के लिए विश्व प्रसिद्ध हाट कालिका मंदिर व प्रसिद्ध जान्हवी नौले में शनिवार को रावल पुजारियों द्वारा साफ सफाई की गई । बताते चलें कि गंगोलीहाट क्षेत्र की बुजुर्ग महिलाएं मकर संक्रांति की प्रातः चार बजे से मां हाटकली के प्रसिद्ध नौले में स्नान करने के बाद महाकाली की आराधना करने को पहुंचते हैं । इस दौरान बुजुर्ग महिलाएं त्रिमागी का व्रत करती है और तीन दिन ताक लगातार जान्हवी नौले में स्नान कर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती है । वही पवित्र माघ महीने में भक्तगण कुमाऊं मंडल सहित भारत के कोने कोने से हाटकाली मंदिर के दर्शन को आते हैं ।

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