महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विद्यालंकार ने शिमला में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध-सम्मेलन में किया प्रतिभाग

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बेतालघाट (नैनीताल)। शहीद खेमचन्द्र डौर्बी राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. विनय कुमार विद्यालंकार ने भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध-सम्मेलन में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान मनीषियों में शामिल महर्षि दयानंद सरस्वती एवं उनके महान विचारों पर व्याख्यान देते हुए बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश में जो स्वराज शब्द का उल्लेख किया है, उसी से प्रेरणा लेकर बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है का नारा दिया था। उन्होंने बताया कि एक बार अंग्रेजों ने स्वामी दयानंद को लंदन का आमंत्रण दिया। अंग्रेजों की बात को सहर्ष ठुकराकर उन्होंने वहां आने से यह कहते हुए मना कर दिया कि अभी तो मेरे ही देश भारत में बहुत काम है, उसके बाद उनके प्रतिनिधि के रूप में श्याम कृष्ण वर्मा लंदन गए। जहां उन्होंने अन्य क्रान्तिकारियों के साथ मिलकर इंडिया हाउस की स्थापना की, जो इंग्लैंड जाकर पढऩे वाले छात्रों के परस्पर मिलन एवं विविध विचार-विमर्श का एक प्रमुख केन्द्र था। इस तरह कई स्वतंत्रता संग्राम क्रांतिकारी स्वामी दयानन्द और उनके राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत विचारों से प्रेरणा लेते रहे।

हिमांचल प्रदेश के शिमला में अयोजित इस सम्मेलन की मुख्य विशेषता यह रही कि जहां एक ओर इसमें भारतीय प्राचीन ज्ञान परम्परा और सभ्यता की झलक रही, वहीं अन्य देशों के चुनिंदा विद्वानों ने इसकी दिव्यता को और प्रकाशित किया। महाविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ. भुवन मठपाल ने शोध-सम्मेलन से लौटे प्राचार्य प्रो.विनय कुमार विद्यालंकार का स्वागत किया। इस दौरान डॉ. ईप्सिता सिंह, डॉ. दीपक, डॉ. तरूण कुमार आर्य, ममता पांडे, गरिमा पांडेय,  दिनेश जोशी, भास्कर पंत, डॉ. फरजाना अजीम, सपना, अनिल नाथ, मुकेश रावत, प्रेमा देवी, ललित मोहन के अलावा छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।  

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