सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए राज्य आंदोलनकारी, 22 वर्ष से राज्य की व्यवस्था कर्ज में चल रही…

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अल्मोड़ा -9-नवम्बर। आज यहां से 30किलोमीटर दूर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस सादगी के साथ मनाया इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के निर्माण का श्रेय भले ही कई राजनैतिक दल लेते हौं किन्तु वास्तविकता यह है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण हेतु 42लोगों ने शहादत दी तथा हजारों लोगों ने त्याग व बलिदान दिया, यातनाएं सही, अकूत जल संपदा, बेशकीमती जड़ी बूटियों, खनिज संपदा,रमणीक , ऐतिहासिक ,धार्मिक पर्यटन स्थलों से भरी इस देवभूमि में बने राज्य को जहां देश के अग्रणी राज्यों में होना था राज्य बनने के बाद बिकास की सही दिशा दशा तय न होने से राज्य निर्माण के 22वर्षो में राज्य की अर्थव्यवस्था कर्ज से चल रही है राज्य में कृषि भूमि बंजर भूमि में बदल गई है, जंगली आवारा जानवरों ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है , शिक्षा स्वास्थ्य की ब्यवश्था बदहाल है बेरोजगारी चरम पर है,पलायन दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है इसलिए राज्य आंदोलनकारियों को अपनी मांगों के साथ साथ जन समस्याओं के लिए भी संघर्ष करना होगा।

इस अवसर पर राज्य आंदोलनकारियों की पैंशन में बृद्धि, क्षैतिज आरक्षण बहाल करने, राजधानी गैरसैंण बनाने, राज्य आंदोलनकारियों के गांवों को आदर्श गांव बनाने, आश्रितों को शीघ्र पैंशन देने,छूटे आंदोलनकारियों को चिन्हित करने सहित अनेक मांगों का एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेजा गया,इस अवसर पर ब्रह्मा नन्द डालाकोटी,मोहन सिंह भैसोड़ा,दौलत सिंह बगड्वाल, शिवराज बनौला, गोपाल सिंह बनौला, नवीन डालाकोटी, पूरन सिंह बनौला, दिनेश शर्मा, तारा राम, कैलाश राम ,मदन राम,शंकर दत्त डालाकोटी, कृष्ण चंद्र, कुन्दन सिंह,पदम सिंह,पान सिंह,नंदन सिंह, देवनाथ गोस्वामी,बसन्त बल्लभ जोशी हेम जोशी बचुली देबी,हरीश राम उदय महरा, रोहित सिंह पैनवाल,सौरव डालाकोटी,भुवन चंद्र जोशी रमेश सिंह आदि उपस्थित थे।

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