गरीब जैविक काश्तकारों से नगर पंचायत ले रही है टैक्स-

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गंगोलीहाट

महाकाली गेट पर बेचते हैं सीजनल सब्जी-
साहब आज टैक्स के लिए पैसे नहीं है क्योंकि बोनी ही नहीं हुई है-

हरगोविंद रावल
गंगोलीहाट के जजूट गांव के अनुसूचित जाति के गरीब काश्तकार गंगोलीहाट के मुख्य चौराहे के महाकाली गेट पर जमीन में बोरा या डलिया में रखकर सीजनल जैविक सब्जी बेचते हैं ये लोग खोके में बैठकर सब्जी नही बेचते हैं बल्कि महाकाली गेट के रिक्त जगह पर सब्जी बेचकर अपने बच्चो का पालन पोषण कर रहे हैं साथ ही बीपीएल परिवार में आते हैं। सुबह 11 बजे से पहले गंगोलीहाट नगर पंचायत का एक कर्मचारी इनको 20 रुपए का पर्ची काटकर हर रोज 20 रुपए वसूल रहा है शुक्रवार को एक काश्तकार यह कहते सुना गया की साहब आज अभी तक बोनी नही हुई है कहां से दूं 20 रुपए । बताते चलें कि जजुट गांव के अनुसूचित जाति के लोग दशकों से जैविक खेती कर गंगोलीहाट के लोगों को जैविक सब्जी उपलब्ध कराकर एक मिसाल पेश कर रहे हैं आज जहां सब्जियों में कई प्रकार की रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किसान कर रहे हैं तो वही जजुट गांव के मज्जू राम , नारायण राम, भूपेंद्र कुमार, दिनेश राम सहित कई लोग जैविक सब्जी का छोटा सा व्यापार गंगोलीहाट में सीजन में करते हैं।

यह लोग बताते हैं कि 160 रुपया जीप का आना-जाना किराया है वही नगर पंचायत द्वारा 20 रुपए रोज उनसे टैक्स लिया जाता है 180 रुपए तो इसी में चला जाता है उसके बाद खाना चाय लगाकर कम से कम ढाई सौ रुपए रोज खर्च हो जाता है । इस समय कद्दू , प्याज , चौलाई , फ्रांसबीन की ताजा व जैविक सब्जी बेच रहे हैं वो भी वाजिब दरों में वही सागिया मिर्च , बैगन , मिर्च , टमाटर के पौधे भी बेचते हैं ।वही बाजारवार्ड की बुजुर्ग बीपीएल महिला देवकी देवी मिर्च के पौधे बेचती है । एक तरफ सरकार जैविक किसानों को कई प्रलोभन दे रही है ताकि जैविक खेती की ओर किसानों का रुख बड़े तो वही गंगोलीहाट नगर पंचायत इन गरीब किसानों से टैक्स वसूल कर क्या संदेश देना चाहती है यह समझ से परे है ।

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