समलैंगिक युवकों को विवाह करने से रोक रहे परिजनों से सुरक्षा को लेकर दायर याचिका की सुनवाई- हाइकोर्ट ने एसएसपी उधमसिंह नगर व एसएचओ रुद्रपुर को युवकों को पुलिस सुरक्षा देने के दिए निर्देश-

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दो  समलैंगिक युवकों द्वारा शादी करने के लिए उच्च न्यायालय की शरण में आने का यह पहला मामला-

नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने उधमसिंह नगर के दो समलैंगिक युवकों को विवाह करने से रोक रहे परिजनों से सुरक्षा को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के बाद एसएसपी उधमसिंह नगर व एसएचओ रुद्रपुर को युवकों को पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश दिए हैं साथ ही विपक्षियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति एनएस धनिक की खण्डपीठ में हुई।   मामले के अनुसार उधमसिंह नगर के दो युवक लंबे समय से एक दूसरे से प्रेम करते थे जिन्होंने आपस मे शादी करने का फैसला कर लिया  ।

लेकिन घरवालों की रजामंदी नहीं मिलने और विरोध के चलते दोनों युवकों ने उच्च न्यायालय से पुलिस सुरक्षा की गुहार लगाई है। जिसे न्यायालय ने स्वीकार करते हुए दोनों युवकों को पुलिस सुरक्षा देने के निर्देश जारी किए है।  उत्तराखंड में  दो  समलैंगिक युवकों द्वारा शादी करने के लिए उच्च न्यायालय की शरण मे आने का यह पहला मामला है। याचिका में  कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गयी है । यह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। उनकी भी उतनी ही भावनाएं और इच्छाएं है जितने की सामान्य नागरिकों की ।। 2017 की रिपोर्ट के आधार पर 25 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है।2013 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे अपराध माना था परन्तु सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में  कहा था कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं।

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