हाईकोर्ट ने कांग्रेसी नेत्री से दुष्कर्म करने व उसके बच्चे का पिता होने के मामले में याचिकाकर्ता को नहीं दी राहत-

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने कांग्रेसी नेत्री से दुष्कर्म करने व उसके बच्चे का पिता होने के मामले में दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को फिलहाल कोई राहत नहीं देते हुए सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार तरूण साह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दुष्कर्म के मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने व अपनी गिरफतारी पर रोक लगाने की मांग की थी।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि दर्ज एफआईआर में घटना की तिथि व समय का जिक्र नहीं है। इसलिए प्राथमिकी कानून की दृष्टि से योग्य नहीं है। सरकार की ओर से कहा गया कि विवेचना के दौरान पीडिता ने धारा 161 व 164 के तहत दिए बयानों में एफआईआर में लगाए गए आरोपों की पुष्टि की है और यह भी कहा है कि आरोपित से एक बच्चा भी है। इस ‌आधार पर कोर्ट ने याचिकाकर्ता को कोई अंतरित राहत देने से पहले प्रतिपक्षी से प्रतिशपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जून की तिथि नियत की है। बता दें कि महिला नेत्री ने आरोप लगाया है कि आरोपित तरूण साह पीडिता से वर्ष 2018 से उसके पति की बीमारी का फायदा उठाकर लगातार कई बार जबरदस्ती उसकी इच्छा के विरूद्घ डरा धमकाकर अवैध संबंध बनाए है। आरोपी से पीडिता को वर्ष 2019 में एक बच्चा भी हुआ है। पीडिता ने आरोपी के पास पिस्टल होने का हवाला देते हुए उससे अपने बच्चे व परिवार को जान का खतरा भी बताया। पीडिता की शिकायत पर पुलिस ने आरा‌ेपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 व 506 के तहत थाना मुखानी में एफआईआर दर्ज कराई थी।

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