जानिए मकर संक्रांति, घुघुतिया का त्यौहार का पौराणिक महत्व-

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प्रस्तुति- फास्ट न्यूज उत्तराखंड डाट कॉम

हल्द्वानी। मकर संक्रांति का पर्व विज्ञान व धर्म को जोड़ता है, यह अकेला हिंदू पर्व है जो सौर गति के आधार पर मनाया जाता है।  मकर संक्रांति का पर्व , जिसके पीछे वैज्ञानिक व भौगोलिक कारणों के साथ- साथ  पौराणिक कथाएं व मिथ भी जुड़े हैं ।

पुराणों के अनुसार महाभारत के यु़द्ध में  अर्जुन के बाणों से घायल भीष्म शरशैया पर पड़े थे और उनके प्राण निकलने ही वाले थे पर  सूर्य उस समय दक्षिणायण था और हिंदू धर्म के मुताबिक इस स्थिति में मृत्यु होने पर मुक्ति नहीं मिलती । सो भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने तक प्राण नहीं त्यागे । सूर्य उत्तरायण होते ही मकर संक्रांति पर उन्होने  प्राण त्याग मोक्ष प्राप्त किया । इसी लिए मकर संक्रान्ति को मोक्षदायी पर्व कहते हैं।
पोंगल व संक्रांति के ही दिन दक्षिण भारत में पोंगल मनता है। दक्षिण भारत में पोंगल का वही महत्व है जो उत्तरी भारत में दीवाली का है। इस दिन वहां दीप जला कर रोशनी की जाती है। उत्तरी भारत में  मकर संक्रांति के दिन लोग अपने पशुओं को सजाते हैं । कुल मिलाकर दान  स्नान, पुण्य व विज्ञान का अनूठा मिश्रण है ये पर्व ।

सूर्य का उत्तरायण-
मकर संक्रांति के दिन सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है । इस दिन से सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाता है, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में शीत ऋतु का प्रकोप धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी मौसम अनुकूल होने लगता है।

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*देश भर में मनता है पर्व*
मकर संक्रांति के दिन खास तौर पर राजस्थान व गुजरात में पतंगें  जोर शोर से उड़ाई जाती हैं । ‘‘ चील-चील पुआ ले ’’ के शोर से तो आसमान गूंजता ही है ‘‘ वो मारा वो काटा ’’ का शोर भी चारों तरफ सुनाई देता है ।

पश्चिमी उत्तरप्रदेश में गंगा स्नान का खास जोर रहता है। इस दिन हर की पौड़ी पर स्नान करने वालों को मुक्ति पाने के से भाव लाखों लोग गंगा  स्नान करते हैैं ।  उड़द की काली दाल की खिचड़ी बनाने, खाने व दान करने की परम्परा मिलती है । पूर्वी उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद के संगम पर इस दिन भारी भीड़ उमड़ती है । एक तरफ मांगने वालों तो दूसरी तरफ दान करने वाले लोगों का हुजूम देखा जा सकता है ।   राजस्थानी व गुजराती लोग मालपुआ बनवा कर बांटते हैं ।

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महाराष्ट्र में मकर संक्रांति के दिन सुहागिन महिलाएं इकट्ठी होकर एक दूसरे को कुंकुम व हल्दी लगाती हैं तथा तिल व गुड़ भेंट करती हैं। हमेशा मीठे वचन बोलने की शपथ उठाती हैं  हैं ।

तिल का महत्व :
कहा जाता है कि मकर संक्रांति से प्रत्येक दिन  एक एक तिल बढ़ने लगता है । इस दिन-तिल का खास महत्व होता है। आज के दिन तिल के लड्डू बनाए जाते हैं। तिल का दान किया जाता है। आज के दिन को सूर्य की उपासना की जाती है और सूर्य नमस्कार करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है ।
*संतान कल्याण का पर्व*
महिलाओं में इस पर्व के प्रति खास उत्साह देखा जाता है वें बड़ी उमंग के साथ आज के दिन व्रत , जप , तप , दान व धर्म के काम करती हैं। अपनी संतान के सुख समृद्धि , सुरक्षा व कल्याण की कामना करती है। कहा जाता है कि आज के  दिन ही माता यशोदा ने कृष्ण को पुत्र  के रूप  में पाने के लिए व्रत किया था। पुत्र प्राप्ति की कामना के लिए मकर संक्रांति का पर्व अति शुभ माना जाता है।

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