स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम हो विद्यालय का नाम, उपजिलाधिकारी भिकियासैण को सीएम के नाम सौपा एक ज्ञापन

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एस आर चंद्रा

भिकियासैण (अल्मोडा़) स्वंतन्त्रता संग्राम सैनानी स्वर्गीय लक्ष्मी दत्त नैलवाल पुत्र स्वर्गीय माधवानन्द नैलवाल निवासी नैलवालपाली तहसील भिकियासैण का नाम विद्यालय के नाम न रखने पर अन्य लोगो का नाम रखे जाने पर पौत्र हरी दत्त नैलवाल ने आन्दोलन की धमकी दी है।
उल्लेखनीय है कि उपजिलाधिकारी भिकियासैण शिप्रा जोशी पांडे को सौंपे ज्ञापन में पौत्र हरी दत नैलवाल निवासी नैलवालपाली,तहसील भिकियासैण जिला- अल्मोडा़ ने ज्ञापन में उल्लेख किया है कि मेरे दादा स्वर्गीय श्री लक्ष्मी दत्त नैलवाल जो कि वास्तव में ग्राम नैलवालपाली के ही स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हैं, उनके नाम से राजकीय इंटर कॉलेज नैलवालपाली का नाम होना चाहिए, लेकिन कुछ व्यक्तियों के व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण ग्राम- कनगडी़ निवासी स्वर्गीय श्री अम्बादत्त को शहीद का दर्जा देकर उनके नाम से विद्यालय का नाम रखा जा रहा है, जो गलत होने के सांथ में सरासर धोखाधड़ी भी है। उनका कहना है कि मृतक अम्बादत्त शिक्षा विभाग में अध्यापक थै, जो सेवानिवृत्ति होकर सन् 1980 के बाद स्वास्थ्य खराब होने के कारण गुजर गये, तो वे शहीद की श्रेणी में कैसै आ गए, जबकि उनकी पत्नी को शिक्षा विभाग से पैंशन मिलती आ रही है। उन्होंने जांच की मांग करते हुए इसे वीआईपी श्रेणी का षडयन्त्र करार दिया, और शासन-प्रशासन से मांग की है कि उनका नाम विद्यालय से हटा कर मेरे दादा स्वतन्त्रता संग्राम सैनानी स्व0 लक्ष्मी दत्त नैलवाल रखा जाय।

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हरी दत्त नैलवाल का कहना यह भी है कि सीएम धामी को पिछले -5 सितम्बर शहीद दिवस मैं अपने ही कार्यकर्ताओं द्वारा गुमराह करके गलत व्यक्ति की घोषणा कराई गई, जबकि उक्त गाँव के अपने ही स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी पूर्व से ही उपलब्ध थे, और उनके नाम का ग्राम सभा द्वारा प्रस्ताव पहले ही दिनांक -17-9-2015 में दे दिया गया था,लेकिन शिक्षा विभाग ने उलटफेर कर हकीकत स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी का नाम न रख कर अपने लोगों का नाम चाह रहा है, जो सरासर गलत है। सन् 2015 मे पूर्व सीएम हरीश रावत द्वारा भी स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी तुलाराम निवासी कनगडी़ के नाम घोषणा की, उस समय भी पौत्र हरी दत्त नैलवाल ने विरोध किया था।इससे पता लगता है कि लोग केवल धन के लिए ही नहीं, बल्कि नाम के लिए भी कैसै- कैसे हथकंन्डे अपनाते है, कि -1980 में मृत्यु हुए शिक्षक को शहीद का दर्जा देकर विद्यालय का नाम दिया जा रहा है।

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