बच्चा पैदा करने के लिए मिली पैरोल, जेल में उम्रकैद काट रहा कैदी

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी को बच्चा पैदा करने के लिए के लिए पैरोल की अनुमति दी है। कोर्ट ने माना कि बच्चा पैदा करने कैदियों का मौलिक अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित है। जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने साफ़ किया कि ये अधिकार पूर्ण नहीं है, बल्कि संदर्भ पर निर्भर करता है और कैदी के माता-पिता की स्थिति और उम्र जैसे कारकों पर विचार करके, व्यक्तिगत अधिकारों, व्यापक सामाजिक विचारों के बीच नाजुक संतुलन को बनाए रखने के लिए एक निष्पक्ष और उचित दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए। अदालत ने कहा, भारत में न्यायपालिका ने हमेशा यह मानने से इन्कार कर दिया कि कैदियों के पास कोई मौलिक अधिकार नहीं है। यह न्यायालय उसी परंपरा का पालन कर रहा है।


गौरतलब है कि साल 2007 में हुए हत्या के मामले में कैदी कुंदन सिंह को उम्रकैद की सजा मिल चुकी है। कुंदन सिंह इस मामले में 14 साल से ज्यादा की सजा काट चुका है। उनकी उम्र 41 साल है। जबकि, उसकी पत्नी की उम्र 38 साल है। कुंदन सिंह की पत्नी ने 27 मई को दिल्ली सरकार से बच्चा पैदा करने के लिए उसे पेरोल पर रिहा करने की मांग की थी। दिल्ली सरकार ने दिल्ली प्रिजन रुल्स का हवाला देकर कुंदन सिंह को पेरोल पर रिहा करने की अर्जी ठुकरा दिया था।

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