मुआवजे के लिए केवल सड़क दुर्घटना साबित किया जाना ही पर्याप्त : हाईकोर्ट

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नैनीताल। सड़क दुर्घटना साबित किए जाने को ही पर्याप्त बताते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बीमा कंपनी को दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के परिवार को मुआवजा दिए जाने के मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) के आदेश को बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति आलोक माहरा ने बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि सड़क दुर्घटना के मामले में केवल दुर्घटना साबित करना ही पर्याप्त है और इसमें चालक की लापरवाही साबित करना आवश्यक नहीं है।

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हरप्रीत सिंह उर्फ हैपी अपने दोस्त गौरव को मोटरसाईकिल पर पीछे बैठाकर 13 जून 2016 को कालाढूंगी में कहीं जा रहा था कि तभी सामने से आयी एक कार ने उनके वाहन को चपेट में ले लिया, जिससे दोनों घायल हो गए। बाद में इलाज के दौरान हरप्रीत ने दम तोड़ दिया।

हरप्रीत की मां राजिंदर कौर ने नैनीताल में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण (एमएसीटी) में मुआवजा याचिका दायर की।

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अधिकरण ने 29 जुलाई 2019 को परिवार को 5.74 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया।

लेकिन, ‘न्यू इंडिया एंश्योरेंस’ नाम की बीमा कंपनी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए दलील दी कि इस मामले में प्राथमिकी दुर्घटना होने के 21 दिन बाद दर्ज की गयी। बीमा कंपनी ने यह भी कहा कि चालक के पास जरूरी दस्तावेज नहीं थे और पुलिस ने मामले में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी थी जिसे मजिस्ट्रेट ने भी स्वीकार कर लिया था।

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हांलांकि, पीड़ित के परिवार ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश का हवाला दिया और कहा कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 163 ए के तहत लापरवाही को साबित किया जाना जरूरी नहीं है।

इस दलील को स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने अधिकरण के आदेश को बरकरार रखा और बीमा कंपनी की अपील को खारिज कर दिया।

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