संगोष्ठी में इफ्को के उत्पाद नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के बारे में बताया

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हल्द्वानी। शुक्रवार को सहकारी संस्था इफ्को एवं सहकारिता विभाग नैनीताल के सहयोग से नैनीताल डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के सभागार में एक दिवसीय जिला सहकारी संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में जिले की समस्त सहकारी समितियों के सचिव, उर्वरक प्रभारी व सहकारिता विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने प्रतिभाग किया।

सर्वप्रथम इफ्को के क्षेत्रीय अधिकारी दीपक आर्य ने समस्त प्रतिभागियों एवं अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक राजीव शुक्ला गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर ने प्रतिभागियों को इफ्को के नैनो टेक्नोलॉजी आधारित उत्पाद नैनो यूरिया एवं नैनो डीएपी के बारे में बताया। उन्होंने समस्त प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वह सभी अपने क्षेत्र के किसानों को लेकर पंतनगर विश्वविद्यालय आकर उनके नैनो डीएपी, नैनो यूरिया के ट्रायल को देखें। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया, नैनो डीएपी की मात्र 500 एमएल की एक बोतल 45 किलो दानेदार यूरिया, 50 किलो नैनो डीएपी के बराबर प्रभावशाली रहती है। इसका उपयोग बहुत ही आसान है। नैनो यूरिया 4 एमएल, नैनो डीएपी 5 एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर पत्तों के ऊपर छिड़काव किया जाता है, नैनो डीएपी का प्रयोग बीज उपचार और जड़ उपचार कर भी किया जाता है, उन्होंने यह भी कहा कि यह पर्वतीय क्षेत्र के लिए काफी मददगार हो सकता है।

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मनोज सिंह दानू क्षेत्र अधिकारी इफ्को ने प्रतिभागियों को इफ्को की विभिन्न कृषि सेवाओं की जानकारी दी।  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राकेश कुमार श्रीवास्तव राज्य विपणन प्रबंधक इफ्को देहरादून ने कहा कि यदि हमें पर्वतीय क्षेत्र से पलायन को रोकना है तो हमें कृषि व उद्यान में ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि किसान भाई खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम करते हुए वैकल्पिक उर्वरक नैनो, जैव उर्वरक आदि का उपयोग बढ़ाएं।

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 दान सिंह नपच्याल जिला सहायक निबंधक सहकारी समितियां नैनीताल ने कहा कि यदि हमें कृषि को लाभकारी बनाना है तो खेती में नवीनतम तकनीक का प्रयोग करना होगा। उन्होंने कहा कि सहकारी समितियां कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं व ग्रामीण विकास में भी सहकारी आंदोलन महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की गोष्ठी बारबार करनी होंगीं, जिससे समिति सचिव जागरूक हों। साथ ही अपने क्षेत्र के किसानों को भी जागरूक करें। उन्होंने प्रतिभागियों को आदेशित किया कि वह अपने कार्यक्षेत्र में जाकर संगोष्ठी में बताई गई कृषि संबंधी जानकारी का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें और किसानों को प्रोत्साहित करें कि किसान भाई कृषि की नवीनतम तकनीक का उपयोग करें। कार्यक्रम में लगभग 100 से अधिक प्रतिभागियों ने प्रतिभाग किया।

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