चौंदास घाटी कृषकों की आजीविका वृद्धि एवं उच्च हिमालय औषधीय पादपों के संरक्षण कृषिकरण हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला सम्पन्न- जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा की पहल-

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गंगोलीहाट से हरगोविंद रावल की रिपोर्ट

जी.बी.पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा द्वारा राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत पिथौरागढ़ जिले के सीमावर्ती चौंदस घाटी में तीन दिवसीय जड़ी बूटी कृषिकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। वही कार्यशाला के दौरान क्षेत्रीय किसानों को जड़ी बूटी की महत्ता, कृषिकरण तकनीकों, पंजीकरण विधियों, सरकारी परियोजनाओं, बाजारीकरण आदि मुख्य बिंदुओं पर जानकारी प्रदान की गई। उपरोक्त कार्यशाला में परियोजना वैज्ञानिक डाक्टर आई डी भट्ट द्वारा किसानों को संदेश प्रेषित किया गया, जिसमें डॉ भट्ट ने समस्त क्षेत्र वासियों को अधिक से अधिक मात्रा में उच्च हिमालयी जड़ी बूटियों के कृषिकरण हेतु मिशन से जुड़ने तथा भविष्य में उत्पादित सामग्री हेतु बाजार उपलब्ध कराने का विश्वास दिलाया। उन्होंने बताया कि वर्तमान में चौंदास घाटी के कृषक वन हल्दी, सम्यों, कूट, कटकी आदि की खेती कर रहे हैं, जो कि भविष्य में घाटी के समुदायों को आजीविका वृद्धि में सहायक सिद्ध होंगे।

इस तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन नारायण आश्रम, नियांग एवम् पाली में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ग्राम प्रधान सोसा सुरेखा देवी द्वारा किया गया। उन्होंने समस्त क्षेत्र वासियों को जैव विविधता संरक्षण, जड़ी बूटी कृषिकरण,बाजार आदि आवश्यकताओं पर जानकारी देते हुए बताया कि वे स्वयं भी वन हल्दी, साम्यों की खेती कर रही है जो कि भविष्य में उनकी आजीविका वृद्धि में सहायक होगी। कार्यशाला में डॉ अमित बहुखंडी द्वारा किसानों को पंजीकरण हेतु दस्तावेजीकरण, कृषक रिकार्ड, भारत एवं उत्तराखंड सरकार द्वारा क्रियान्वित परियोजनाओं, जड़ी बूटी कृषिकरण हेतु सब्सिडी आदि बहुमूल्य विषयों पर जानकारी साझा की गई। साथ ही उन्होंने बताया कि परियोजना के तहत चौदास घाटी में सम्यो के उत्पादन एवं कृषकों के लाभ हेतु संस्थान द्वारा क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया, नई दिल्ली से वी. सी. एस. एम. पी. स्कीम के तहत अनुबंध प्रेषित किया गया है, जिसमें स्थानीय किसानों कलस्टर कृषि के तहत पंजीकरण एवम् गुड एग्रीकल्चर प्रैक्टिस का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे भविष्य में उत्पादित उच्च गुणवत्ता वाली जड़ी बूटी को राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में आसानी से विक्रय कर सकें। इसी क्रम में नीयांग, पाली और सोसा ग्राम के दस कृषकों द्वारा सम्यो प्रजाति का कृषिकरण प्रारंभ हुआ है। कार्यशाला के तहत स्थानीय किसानों बहादुर सिंह, दीवान सिंह, नरेंद्र सिंह, प्रेम राम, ममता देवी, विनीता आदि को सम्यो के लगभग ५०००० पौंध निःशुल्क वितरित किए गए।

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कुलदीप जोशी द्वारा कृषकों को सम्यो की खेती हेतु प्रशिक्षण, खेत तैयार करना, पौंध रोपण विधि, नर्सरी प्रबंधन, बीज एकत्र आदि पर प्रशिक्षण एवं ज्ञान प्रदान किया गया। कार्यशाला का संचालन हेमन्त सिंह गबर्याल, लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया द्वारा किया गया। कार्यशाला में ४० कृषकों ने प्रतिभाग किया एवम् नारायण आश्रम में तैयार उच्च हिमालयी जड़ी बूटी नर्सरी, पालीहाउस आदि का भ्रमण कर जानकारी प्राप्त की।

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