भवाली में जल आपूर्ति धड़ाम, जनता हलकान : खष्टी बिष्ट

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ग्रीष्मकल आते ही भवाली क्षेत्र में पानी की किल्लत को लेकर हाहाकार मचना शुरू हो जाता है। आए दिन जल संस्थान पर जाकर स्थानीय लोग धरना देने को मजबूर हैं। शिकायतें करते हैं परंतु पानी की समस्या से निपटने के लिए प्रशासनिक तैयारियां अधूरी ही रह जाती है। और जनता हलकान हो जाती है। विगत कई वर्षों से इस समस्या की निरंतर पुनरावृति हो रही है परंतु सरकार और स्थानीय प्रबंधन कान में अंगुली डाले बैठे हैं।

समस्या निराकरण के नाम पर जल संस्थान के भीतर चाल-खाल बनाकर जल स्तर को बढ़ाने की परियोजना फुस्स साबित हुई है। अब पूरी समस्या का दबाव आम जनता पर आ गया है। पानी की कमी का हवाला देकर संस्थान ने कटौती रोस्टर लगा दिया है । और जिन दिनों पानी दिया भी जाता है उन दिनों भी आपूर्ति नहीं के बराबर है। ऊपर से क्षेत्र में बढ़ते पर्यटकों के दबाव से स्थानीय पानी के लिए बार-बार जल संस्थान जाकर शिकायत करते हैं परंतु उन्हें आश्वासनों के गोखले लिफाफे के अलावा कुछ नहीं मिलता।

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राम मंदिर और हिंदू मुसलमान में भेद कराने वाली सरकार के नुमाइंदों को जन समस्या से भला क्या सरोकार। रेहड़ ताल और कुछ चाल खाल बनाकर अपनी पीठ ठोकने वालों को पानी के लिए त्राहि त्राहि करती भवाली की जनता सिर्फ वोट मांगते समय ही याद आती है। पानी के स्रोत सूख रहे हैं, नौले विलुप्त हो रहे हैं, शिप्रा नदी कूड़े से पटी पड़ी है परंतु स्थानीय प्रशासन मौन है। बढ़ती जनसंख्या और आवासों के दबाव में पानी आपूर्ति की पुरानी व्यवस्था अब काम नहीं कर रही है। परंतु सत्ता के नशे में जनसेवकों को जनता की सुध लेने का समय ही कहां है। तो नई परियोजनाओं को बनाने और उन्हें अमली जामा पहनाने की बात तो सपना मात्र ही है।

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