आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति की अपील खारिज

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने हत्या के जुर्म में निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा पाए व्यक्ति की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले में हस्तक्षेप न करते हुए आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में हुई। मामले के अनुसार 16 सितंबर 2008 को गुलाबघाटी रानीबाग में रूपकिशोर की हत्या की गई थी।

इस मामले में रूपकिशोर के पुत्र उमेश कुमार ने काठगोदाम थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया कि वह अपने पिता के साथ मजदूरी करने के बाद बाइक से घर लौट रहे थे। तभी पीछे से दूसरी बाइक से आ रहे उसके चचेरे भाई बसंत उर्फ छोटू पुत्र स्व. भगवान दास निवासी गुसाईं नगर हल्द्वानी ने गोली मार दी थी। इस मामले में अपर जिला सत्र न्यायाधीश हल्द्वानी ने 12 दिसंबर 2012 को निर्णय देते हुए हत्यारोपी को हत्या का दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा व पांच हजार रुपये अर्थदंड, 25 आर्म्स एक्ट में एक साल की सजा व एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ बसंत उर्फ छोटू ने हाईकोर्ट में अपील की थी। जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

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