मंजूर नक्शे से अलग फ्लैट बनाने पर बिल्डर को देना होगा मुआवजा

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देहरादून। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग उत्तराखण्ड ने मंजूर नक्शे से अलग फ्लैट बनाने पर बिल्डर को मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। देहरादून के सुभाषनगर के गुरुनानक मार्ग में बनाए फ्लैट के मामले में आयोग ने यह फैसला सुनाया।

इसमें एसोसिएट प्रोफेसर ने तीसरी मंजिल पर एक फ्लैट 2015 में खरीदा था। सुभाषनगर निवासी संतोष सिंह और सीमा सिंह ने 29 जून 2015 को समीर सेठी से 28 लाख में एक फ्लैट खरीदा था। समीर सेठी पर आरोप है कि उन्होंने फ्लैट खरीदते वक्त बताया कि एमडीडीए से नक्शा मंजूर है। इसके लिए संतोष सिंह और सीमा सिंह ने जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी 22.40 लाख का होम लोन लिया। दो साल बाद जब वह अपना होम लोन दूसरे बैंक में ट्रांसफर करवाने लगे तेा पता चला कि एमडीडीए से तीसरी मंजिल पर फ्लैट के नक्शे मंजूर नहीं है, हालांकि समीर सेठी आरोप से इनकार किया।

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कहा कि फ्लैट का नक्शा शुरू में तीन मंजिलों के लिए स्वीकृत था, जिसे बाद में तीसरी मंजिल के लिए कंपाउंडेड किया गया था। आयोग ने सुनवाई में पाया कि समीर सेठी ने तीसरी मंजिल पर तीन फ्लैट बनाए हैं, जबकि एमडीडीए से सिर्फ एक स्वतंत्र मंजिल की स्वीकृति दी गई थी।

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इस प्रकारण समीर सेठी को स्वीकृत नक्शे का उल्लंघन का उत्तरदायी पाया। हालांकि आयोग ने जीआईसी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के खिलाफ लगे आरोपों को सबूतों के अभाव में खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि एसोसिएट प्रोफेसर होकर वह जानकारी नहीं होने का दावा नहीं कर सकते हैं। आयोग ने समीर सेठी के खिलाफ शिकायत को आंशिक तौर पर स्वीकार करते हुए संतोष सिंह और सीमा सिंह को तीन लाख रुपये का मुआवजे के साथ 25 हजार रुपये वाद व्यय देने के आदेश दिए हैं।

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