रावलगांव के प्रसिद्ध सिद्ध मंदिर में चौरासी का आयोजन-

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गंगोलीहाट

चौरासी के दूसरी रात भक्तों का उमड़ा सैलाब

हरगोविंद रावल
गंगोलीहाट क्षेत्र के एकमात्र सिद्ध मंदिर रावलगाँव में गुरुवार से चौरासी का आयोजन मंदिर के मुख्य पुजारी रावल परिवारों द्वारा किया जा रहा है । चौरासी में मुख्य रूप से सूबेदार दीवान सिंह रावल सूबेदार नवीन रावल व इंद्रजीत रावल तथा परगांव व रावलगांव के सभी परिवार सहयोग कर रहे हैं । वही गांव के सभी रावल परिवारों द्वारा चौरासी में प्रतिदिन शामिल होकर यज्ञ में सेवा कार्य किया जा रहा है । सिद्ध मंदिर में हर तीसरे साल क्षेत्र की खुशहाली के लिए रावल परिवारों द्वारा चौरासी का आयोजन किया जाता है । सिद्ध मंदिर में प्रतिदिन मुख्य पुजारी लक्ष्मण रावल, नवीन रावल , बहादुर सिंह रावल ,सुरेश रावल व ब्राह्मण मनोज उप्रेती द्वारा पंचामृत स्नान के पूजा अर्चना की जा रही है । वही रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक जगरियों द्वारा सभी ईस्ट देवी देवताओं की गीत के द्वारा स्तुति गाई जाती है प्रथम दिवस जागरियों द्वारा कालशन देवता की कथा सुनाई वही दूसरी रात्रि को हरु देवता की कथा गीत के माध्यम से गाई गई । यह कथा जगिरिया हुडके की थाप पर पवित्र धूनी के दो तरफ से गाते है । और पुरुष धूनी के अंदर बैठकर कथा सुनते हैं वही महिलाएं धूनी की दीवार से बाहर से कथा का श्रवण करती हैं । 11 बजे रात्रि के बाद क्षेत्र के प्रसिद्ध देव डांगर फकीर राम उर्फ फकदा ढोल की थाप पर देवताओं का बर्मो के द्वारा आह्वान करते हैं उसके बाद देव डांगर धूनी की चारो तरफ नाचते हुए भक्तो को अपना आशीर्वाद देते हैं । दमाऊं में राजू राम ,संदीप कुमार व मशकबीन में जीवन कुमार संगत दे रहे हैं । चौरासी में कड़ाके की ठंड के बावजूद देर रात तक क्षेत्र के भक्तों का तांता लगा रहता है । चौरासी का भंडारा 27 दिसंबर सोमवार को होगा । मुख्य पुजारी इंद्रजीत रावल ने सभी भक्तों से भंडारा में आकर प्रसाद गृहण कर पुण्य प्राप्त करने को कहा है ।

70 वर्षीय बुजुर्ग जगरिये संजोए हुए हैं हमारी धार्मिक विरासत को।
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चौरासी , छमासी व जागर में बुजुर्ग जगरिया रमेश राम उम्र 70 वर्ष , रामी राम उम्र 70 वर्ष निवासी ग्राम चिटगल 20 वर्ष की उम्र से जगरिये का बखूबी गायन कर रहे हैं 70 वर्ष की उम्र में भी वही जगरिया सुंदर राम उम्र 50 वर्ष व राजेंद्र राम उम्र 52 वर्ष निवासी मल्लगर्खा बिगद एक दशक से जगरिये का कार्य कर हमारे कुमाऊं की धार्मिक विरासत का संजोएं हुए हैं । आज की पीढ़ी को इन बुजुर्गों से हमारे धार्मिक जागर की गीतों की गाए जानें वाली पहाड़ी शब्दो में लोक देवताओं की गाथा को हुडके की थाप पर गाए जाने की कला को सीखना चाहिए अन्यथा जगरिया की कुमाऊनी भाषा में गाए की यह कला विलुप्ति की कगार पर है । वही सरकारों ने जगरियो को प्रोत्साहन देकर इनकी आर्थिक स्तिथि को भी मजबूत करना चाहिए ।
फोटो 1 रावलगांव के प्रसिद्ध सिद्ध मंदिर में लगी चौरासी
2_70 वर्षीय बुजुर्ग जगरिया ईस्ट देवो की कथा गाते हुए हुड़के की थाप पर ।
3_ 50 वर्षीय जगरिए हुड़के की थाप पर जागर गाते हुए

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