क्या आप जानते हैं? कौन है यह भद्रा, जो हर साल रक्षाबंधन के त्योहार पर भाई-बहन के अटूट प्यार पर खलल डालने आ जाती है, जानिए क्या है पूरी कहानी

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संपादक की कलम से

रक्षाबंधन का त्‍योहार भाई-बहन के अटूट रिश्‍ते की खुशी मनाने का पर्व है। लेकिन लगभग हर साल इस त्‍योहार पर भद्रा का साया पड़ता है और इसकी रौनक फीकी पड़ जाती है। धार्मिक मान्‍यताओं और ज्‍योतिष के अनुसार, भद्रा भगवान सूर्य और छाया की पुत्री और शनिदेव की बहन मानी जाती हैं। अपने भाई शनिदेव की तरह ही भद्रा का स्‍वभाव भी बहुत कठोर माना जाता है।

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वह हर शुभ कार्य में बाधा डालती थीं। ऐसे में उनके पिता सूर्यदेव ने भ्रदा पर नियंत्रण पाने के लिए ब्रह्माजी से मदद मांगी। इसलिए ब्रह्माजी ने उन्‍हें नियंत्रित करने के लिए पंचांग के प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया था। उन्‍होंने कहा कि भद्रा लगी होने पर कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाएगा। लेकिन भद्रा के पश्‍चात उस कार्य को किया जा सकेगा। हालांकि भद्रा के वक्‍त तंत्र-मंत्र की पूजा और कोर्ट-कचहरी का कोई काम करना अशुभ नहीं माना जाता है। लेकिन भद्रा में शादी विवाह रक्षाबंधन, होलिका दहन जैसे शुभ कार्य करने को मना होता है।

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रावण को भद्रा में बांधी गई थी राखी
ऐसा माना जाता है कि रावण के समूचे कुल के नाश के पीछे भद्रा ही वजह थीं। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा काल में भाई रावण को राखी बांधी थी जो कि उसके विनाश का कारण बना।

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