क्षेत्र पंचायत ब्लाक संगठन के अध्यक्ष गोपाल सिंह अधिकारी ने क्षेत्र पंचायत की वर्चुअल बैठक पर उठाए सवाल-
हल्द्वानी। अब तो सब विद्यालय भी खुल गए हैं, बच्चे भी स्कूल जाने लग गये है । बड़ी-बड़ी राजनैतिक सभाएं भी होने लगी है। शादियों में मेहमानों की संख्या भी असीमित कर दी गई है। तो क्या . . . सरकार को क्षेत्र पंचायत सदस्यों के स्वास्थ्य की इतनी चिंता है कि कहीं उन्हें कोरोना ना हो जाए। क्या वह इसीलिए वर्चुअल बैठक कर रहे है। क्षेत्र पंचायत ब्लाक संगठन के अध्यक्ष गोपाल सिंह अधिकारी ने कहा है कि यह निर्णय सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्चुअल बैठकों का पिछला रिकार्ड सब लोगो ने देखा ही है कि वह कितनी बातें अधिकारी के समक्ष रख सके हैं और कितनी पूर्ण हुई है और कितने अधिकारियों ने वर्चुअल मीटिंग में अपनी भागीदारी ईमानदारी से निभाई है।
बैठक का जो पत्र जारी हुआ है उसके 8 नवंबर एवं 9 नवंबर उसमें मुख्य रूप से जिन विभागों की समस्याएं होती हैं, उन्हीं विभागों को इस आदेश में वर्चुअल कर दिया गया। जिसका हम पुरजोर विरोध करते हैं। इसीलिए वास्तविक रूप से आमने-सामने की बैठक होनी चाहिए। उत्तराखंड सरकार ज़ोर ज़ोर से यह ढोल पीट रही है कि हमने क्षेत्र पंचायत सदस्यों का मानदेय बढ़ा दिया गया है। कितना बढ़ा दिया गया है? 200₹ अब कुल मिलाकर 700₹ प्रति बैठक सरकार ने देने की घोषणा की है। दो साल से अधिक का कार्यकाल ख़त्म हो चुका है अभी तक केवल एक बैठक हुई है ।अगर सब कुछ सामान्य रहा तो पांच बैठकें और हो जाएंगी। कुल मिलाकर छह बैठकें हुई। छह बैठकों का 700₹ की दर से कुल मानदेय 4200₹ होता है।
पूरे कार्यकाल में एक क्षेत्र पंचायत सदस्य को प्रतिमाह 70₹ का मानदेय मिला। क्षेत्र पंचायत सदस्य इससे पूर्व भी जो 500 रूपये प्रति बैठक का मानदेय मिलता था उसको भी नहीं लेते थे। उन्होंने कहा कि
हमें यह मानदेय भी नहीं चाहिये, हमें हमारे वास्तविक अधिकार दीजिये। यह बात हम तब कर रहे जब उत्तराखंड सरकार बार -बार चिल्ला- चिल्ला कर कह रही है कि हमने क्षेत्र पंचायत सदस्यों का मानदेय बढ़ा दिया है तो पता तो चले जनता को कि ये क्षेत्र पंचायत सदस्यों को कितना दे रहे हैं।
अब कोढ़ में खाज का काम और कर रहे हैं जब सब जगह आमने सामने की बैठकें हो रही है। वहीं क्षेत्र पंचायत सदस्यों की बैठक को वर्चुअल कर दिया गया है। इस पद को ही वर्चुअल कर दो जब पद के कोई अधिकारी नहीं है तो सरकार उसके चुनाव प्रबन्धन में करोड़ों रुपये क्यों खर्च करती है । जो रुपये भी खर्च होते हैं वह अंत में जनता का ही खर्च होता है, इसीलिए जनता के धन का दुरुपयोग न करते हुए सरकार इस पद को समाप्त करें या इसमें शक्तियां प्रदान करे।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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