हिन्दी हमारी संस्कृति व संस्कारों की सच्ची संवाहक
दया जोशी/प्रसून अग्रवाल
हल्द्वानी। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारम्परिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राजभाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है।
हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, सांस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक संप्रेषक और परिचायक भी है।
देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। राजभाषा हिंदी के विकास के लिए खासतौर से राजभाषा विभाग का गठन किया गया है। केंद्र सरकार के अधीन कार्यालयों में अधिक से अधिक कार्य हिंदी में हो। इसी कड़ी में राजभाषा विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। 14 सितंबर, 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास में बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिन्दी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए साल 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है। किसी भी भाषा की तरह हिन्दी भी मौलिक सोच की भाषा है। हिन्दी दिवस के मौके पर हिंदी प्रोत्साहन सप्ताह का आयोजन किया जाता है। हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने अनेक पुरस्कार योजनाएं शुरू की हैं। सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार, राजभाषा गौरव पुरस्कार का प्रावधान है।
वर्तमान में मंत्रालयों एवं विभागों द्वारा संचालित जन कल्याण की विभिन्न योजनाओं की जानकारी आम नागरिकों को हिन्दी में मिलने से गरीब, पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोग भी लाभान्वित होते हुए देश की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं। इसके साथ ही विदेश मंत्रालय द्वारा ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’ और अन्य अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ मनाया जाता है जिसमें विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं। विदेशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की उपलब्धियों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम से भारतीय मूल्यों का विश्व में और अधिक विस्तार हो रहा है। विश्वभर में करोड़ों की संख्या में भारतीय समुदाय के लोग एक संपर्क भाषा के रूप में हिन्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को एक नई पहचान मिली है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिंदी को भी मान्यता मिली है। भारतीय विचार और संस्कृति का वाहक होने का श्रेय हिन्दी को ही जाता है। आज संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है। विश्व हिंदी सचिवालय विदेशों में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कार्यरत है। उम्मीद है कि हिंदी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी प्राप्त हो सकेगा।
हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। हिंदी जन-आंदोलनों की भी भाषा रही है। सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी का इस्तेमाल बढ़ रहा है। आज वैश्वीकरण के दौर में, हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज पूरी दुनिया में 175 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिन्दी भाषा पढ़ाई जा रही है। ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकें बड़े पैमाने पर हिंदी में लिखी जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का प्रयोग निरंतर बढ़ रहा है।
भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है। आज के तकनीकी के युग में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्या सहित सबकी भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए यह अनिवार्य है कि हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्य का सरल अनुवाद किया जाए। इसके लिए राजभाषा विभाग ने सरल हिंदी शब्दावली भी तैयार की है। राजभाषा विभाग द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन योजना के द्वारा हिंदी में ज्ञान-विज्ञान की पुस्तकों के लेखन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे हमारे विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान संबंधी पुस्तकें हिंदी में उपलब्ध होंगी। हिन्दी भाषा के माध्यम से शिक्षित युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध हो सकें, इस दिशा में निरंतर प्रयास भी जरूरी है।
इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। इस कारण हिन्दी दिवस के दिन सभी से निवेदन किया जाता है कि वे अपने बोलचाल की भाषा में भी हिंदी का ही उपयोग करें। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में एकता की भावना और मजबूत होगी।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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