सड़क के अभाव में गर्भवती ने रास्ते में जन्मा बच्चा-

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शिवेंद्र गोस्वामी

अल्मोड़ा=भैसियाछाना बिकास खंड के ग्राम सभा लिगुडता के पतलचौरा गांव प्रयिंका बानी के सास हेमा, बानी व बड़ी सास लक्ष्मी बानी व आशा कार्यकर्ता संजू देवी प्रयिंका बानी को निकटतम अस्पताल भैसियाछाना के लिए ले जा रहे थे। पतलचौरा गांव से कनारीछीना की दूरी पांच किलोमीटर है। प्रियंका के परिवार जनों के द्बारा डोली के इंतजाम करके निकटतम अस्पताल भैसियाछाना के लिए तैयारी की लेकिन रास्ते का अभाव व पांच किलोमीटर की चढ़ाई की उजह से डोली लाने में देरी होने के कारण प्रियंका बानी ने आधे रास्ते में अपने शिशु को जन्म दिया। पतलचौरा गांव से कनारीछीना मार्केट तक पहुंचने में पांच किलोमीटर की दूरी है जो ढाई किलोमीटर चढ़ाई व ढाई किलोमीटर ढलान है।

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रीठागाडी दगड़ियों संघर्ष समिति ने कनारीछीना बिनूक पतलचौरा सड़क मार्ग के लिए लंबे समय से शासन-प्रशासन को गुहार लगाई।इस सड़क मार्ग केलिए गजट जारी व सरबे होने के बाबजूद भूगर्भ बिभाग के अर्थ टिसटिग होने पर भी अभी तक सड़क मार्ग बिलंब में पडा है। पतलचौरा गांव से डिलीवरी महिलाओं को व बुजुर्ग बिमार आदमियों को कनारीछीना सड़क तक लाने में डोली या खच्चरों का सहरा लेना पड़ता है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाबजूद सडक तो दूर की बात ठीक ढंग से रास्ता बनाना भी भूल गयी सरकार।
पतलचौरा गांव अनुसूचित जाति का गांव है एक तरफ सरकार बोलती है हम अनुसूचित जाति के लिए हर चीज मुहिया करा रहे । लेकिन इस गांव को उत्तराखंड राज्य बनने के बाबजूद भी ठीक ढंग से चलने के लिए रास्ता नसीब नहीं हुआ।

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