थराली नगर पंचायत की राजनीति में निर्दलीयों ने ठोका दम –भाजपा कांग्रेस हलकाल
रिपोर्ट केशर सिंह नेगी
थराली चमोली। नगर पंचायत चुनावो की रणबेरिया बज चुकी है। राजनीतिक दल मैदान सजाने में लगे हैं। वही थराली में निर्दलीयों ने मैदान में आकर नगर पंचायत के चुनाव को बहुत ही रोमांचक स्थिति में पहुंचा दिया है। अति पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित इस सीट पर जहां भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए उम्मीदवार ढूंढना टेडी खीर हो गई थी, वहीं तीन-तीन निर्दलीयों ने इस चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए ताल ठोकी है।
दोनों ही राष्ट्रीय दलों को जहां गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के नागरिकों को टिकट देना मजबूरी हो गया था, वही तीन-तीन निर्दलीयों ने मैदान में आकर मुकाबले में जान डाल दी है। निर्दलीयों के मैदान में चुनौती देने के लिए माना जा रहा है कि राष्ट्रीय दल ऐसा कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं ला पाए जो पूर्व से सामाजिक सरोकारों से जुड़े हो स्थानीय, स्थानीय मुद्दों को लेकर कभी भी मुखर रहे हो। इन सब बातों को लेकर स्थानीय लोगों की नाराजगी लगातार जाहिर हो रही थी। स्थानीय लोगों ने अब मैदान में तीन मजबूत निर्दलीय उम्मीदवार उतार दिए, जिसे लेकर भाजपा और कांग्रेस के पसीने छूट गए हैं। यह सीट पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के पास रही थी लेकिन नेताओं के आपसी गुटबाजी एवं स्थानीय संगठन के साथ लोगों के न जुड़ पाने के कारण इस बार भाजपा के लिए यह सीट बचानी मुश्किल हो गई है। तीनों स्थानीय निर्दलीय उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा दबदबा रखते हैं । जिस कारण मुकाबले के त्रिकोणीय या चतुर्थ कोणीय होने की संभावनाएं अधिक बन गई है।
राजनीतिक दल से जुड़े कार्यकर्ताओं के भी स्थानीय राजनीति एव आपसी भाई बंदी के स्तर पर छिन्न-भिन्न हो सकते हैं ऐसी संभावनाएं बताई जा रही है। भितरघात की उम्मीदें अधिक जताई जा रही है। शनिवार को जहां कांग्रेस पार्टी की सुनीता रावत के लिए मत पत्र खरीदा गया, वही तीन अन्य प्रीति देवी,जायदा एव गोविंदी देवी के द्वारा भी नगर पंचायत थराली के अध्यक्ष पद हेतु मत पत्र खरीदे गए हैं। अलग-अलग वार्डो से बिक्री हुए इन मत पत्रों के अनुसार यदि मुकाबला बनता है तो भाजपा कांग्रेस को दांतों चने चबाने पड़ जाएंगे। पहली बार थराली की राजनीति में एक नया अध्याय होगा और थराली के नगर पंचायत के लोग निर्दलीय के साथ खड़े दिखेंगे, ऐसी संभावना बताई जा रही है। स्थानीय भाजपा एवं कांग्रेस के संगठनों के पदाधिकारियों के लिए भी अपने पद को बचाना चुनौती बन जाएगा । अब यह तो भविष्य ही बताया कि किस तरह से चुनावी परिणाम इन बातों को अपने पक्ष में करते है।
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संपादक – फास्ट न्यूज़ उत्तराखण्ड
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