संसद में उठा उत्तराखंड की न्यायिक अवसंरचना का मुद्दा, ई-कोर्ट के लिए 2025-26 में 29.57 करोड़ स्वीकृत

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देहरादून। हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रश्नकाल में उत्तराखंड की न्यायिक अवसंरचना को सुदृढ़ करने का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या राज्य के कई जिलों में न्यायालय भवनों, रिकॉर्ड कक्षों और बार कक्षों की भारी कमी है तथा क्या इन कमियों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार ने कोई विशेष निधि स्वीकृत की है।

सांसद ने यह भी जानकारी मांगी कि क्या उत्तराखंड में नए न्यायालय भवनों के निर्माण और न्यायिक कार्यों के डिजिटलीकरण के लिए कोई परियोजना प्रस्तावित है।

त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रश्न के लिखित उत्तर में विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया कि ई-कोर्ट परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड उच्च न्यायालय को सूचना, संचार एवं प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अवसंरचना के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 29.57 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इससे पूर्व वर्ष 2023-24 में 13.67 करोड़ और वर्ष 2024-25 में 19.95 करोड़ रुपये की धनराशि प्रदान की जा चुकी है।

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राज्यमंत्री ने बताया कि न्यायपालिका के लिए अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों की होती है। इसके बावजूद केंद्र सरकार वर्ष 1993-94 से जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों के लिए अवसंरचना विकास हेतु केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) लागू कर रही है। उत्तराखंड के लिए इस योजना में केंद्र और राज्य के बीच निधि साझाकरण का अनुपात 90:10 है।

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इस योजना के अंतर्गत न्यायालय कक्ष, न्यायिक अधिकारियों के लिए आवासीय सुविधाएं, अधिवक्ताओं के लिए हाल, वादकारियों एवं अधिवक्ताओं की सुविधा हेतु शौचालय परिसर तथा डिजिटल कंप्यूटर कक्ष जैसी सुविधाएं शामिल हैं। योजना की शुरुआत से 31 अक्टूबर 2025 तक उत्तराखंड को कुल 301.94 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जा चुकी है, जिसमें से 256.60 करोड़ रुपये वित्तीय वर्ष 2014-15 के बाद न्यायिक अवसंरचना विकास के लिए दिए गए हैं।

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मेघवाल ने बताया कि उत्तराखंड में 298 न्यायिक अधिकारियों के स्वीकृत पदों के सापेक्ष 283 न्यायालय कक्ष उपलब्ध हैं, जबकि 12 नए न्यायालय कक्ष निर्माणाधीन हैं।

ई-कोर्ट परियोजना के चरण-3 के तहत देशभर में 2038.40 करोड़ रुपये की लागत से न्यायालयों के संपूर्ण अभिलेख—जिसमें विरासत संपदा से जुड़े पुराने दस्तावेज और नए मामलों की फाइलिंग शामिल है—का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। 30 सितंबर 2025 तक उत्तराखंड उच्च न्यायालय में 2.17 करोड़ पृष्ठों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है, जबकि जिला न्यायालयों में 89.20 करोड़ से अधिक पृष्ठों का डिजिटलीकरण पूरा किया गया है।

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