कलियुग में भक्ति से ही भगवान की प्राप्ति संभव है : व्यास

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-दन्यां में श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन दूसरे दिन भी जारी


गणेश पाण्डेय, दन्यां

इस कलिकाल में अनन्य भक्ति ही भगवान की प्राप्ति का एकमात्र साधन है। परम कल्याण के लिए हमें सदैव भगवान की भक्ति में स्वयं को समर्पित करना चाहिए।
यह बात प्रसिद्ध कथा वाचक श्रीश्री नमन कृष्ण महाराज ने श्रीमद्भागवत कथा प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि अपने किए हुए कर्मों का फल हमको प्राप्त होता है। हमें ऐसे कर्म करने चाहिए जिससे बाद में पछताना न पड़े। उन्होंने श्रोताओं से कहा कि आठ वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा किए गए कर्मों के फल माता पिता को भाेगने पड़ते हैं। उन्होंने बच्चों को संस्कारवान बनाने के लिए स्वयं में अच्छे संस्कार पैदा करने की अपील की।

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व्यास महाराज ने कहा कि कलियुग ने पदार्पण के दौरान ही धर्म के तीन स्तम्भ खत्म कर दिए। चौथा स्तम्भ भक्ति का बाकी रह गया है। प्रभु की प्राप्ति के लिए भक्ति मार्ग पर चलने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि समर्पण और भक्ति भाव से प्रभु को याद किया जाय तो मनुष्य को परम सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। भागवत कथा के यजमान मोहनी दरम्वाल, हरीश दरम्वाल, संजय दरम्वाल और महेंद्र दरम्वाल ने अधिक से अधिक कथा प्रेमियों से प्रतिदिन कथा श्रवण के लिए आने और प्रसाद ग्रहण करने की अपील की है।
 

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