फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना से तीन गुना करवाने की लड़ाई जारी : डॉ उपाध्याय

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हल्द्वानी। डॉ गणेश उपाध्याय किसान नेता द्वारा हाईकोर्ट उत्तराखंड में दायर जनहित याचिका में केंद्र सरकार को स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने पर विचार करने के पूर्व में आदेश दिए थे। जिसमें आदेशों का पालन न होने प्रमुख सचिव उत्तराखंड और केंद्रीय कृषि सचिव के विरुद्ध अवमानना याचिका माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर की गई थी। अवमानना याचिका में नोटिस जारी होने के बाद केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा द्वारा शपथ पत्र दायर कर कोर्ट को बताया गया कि राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश और माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के आदेशों के अनुपालन में भारत सरकार द्वारा फसलों की उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया गया है जो कि खरीफ रवि और अन्य व्यवसायिक फसलों पर लागू किया गया है।

साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया है कि खरीफ और रबी की फसल का समर्थन मूल्य का प्रचार प्रसार व्यापक स्तर पर किए जाने का निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई वित्तीय मामलों की कैबिनेट समिति में लिया गया है जो कि इसी बुवाई के मौसम से पूर्व प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया और एम किसान पोर्टल तथा एसएमएस के माध्यम से हिंदी व अंग्रेजी में किया जाएगा। साथ ही यह भी बताया गया कि अन्य प्रकार की दलहन व तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में कार्यवाही राज्य सरकारों से परामर्श और उनके निवेदन के अनुसार कराई जा रही है। जिसके लिए पीएम आशा योजना के तहत कार्यक्रम घोषित किया गया है। जस्टिस रविंद्र नैथानी की कोर्ट ने आदेशों का पालन काफी हद तक किए जाने के शपथ पत्र के बाद अवमानना याचिका निस्तारित करती है। वही किसान नेता याचिकाकर्ता डॉ गणेश उपाध्याय का कहना है कि अभी तो आधी लड़ाई ही जीती गई है और किसान हित में न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना से तीन गुना करवाने की लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।

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