अब हर साल नहीं, 2 साल का होगा संसदीय समितियों का कार्यकाल, सरकार ला रही है नया प्रस्ताव

Fast News Uttarakhand - Latest Uttarakhand News in Hindi
खबर शेयर करें


नई दिल्ली। संसद के कामकाज को और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़े सुधार की तैयारी चल रही है। सूत्रों के अनुसार, संसदीय स्थायी समितियों का कार्यकाल एक साल से बढ़ाकर दो साल किया जा सकता है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य समितियों को विधेयकों, रिपोर्टों और नीतिगत मामलों की गहराई से जांच करने के लिए अधिक समय और निरंतरता प्रदान करना है।
मौजूदा समितियों का कार्यकाल 26 सितंबर को समाप्त हो गया है और अब नए पुनर्गठन में इस नियम को लागू किए जाने की संभावना है।


अभी तक इन समितियों का हर साल पुनर्गठन किया जाता है। विपक्ष समेत कई सांसदों का मानना है कि एक साल का कार्यकाल किसी भी विषय के गहन अध्ययन के लिए अपर्याप्त होता है। कार्यकाल बढ़ाए जाने से समितियां अधिक फोकस और विशेषज्ञता के साथ काम कर सकेंगी। ये समितियां संसद सत्र न होने पर भी ‘मिनी संसदÓ की तरह काम करती हैं और सांसदों को नीतिगत मामलों की विस्तृत जांच का अवसर देती हैं।

फ़ास्ट न्यूज़ 👉  हल्द्वानी में "पहाड़ी पिसी नूण" स्टोर का शुभारंभ, वोकल फॉर लोकल को मिला नया आयाम


इस प्रस्ताव का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक पहलू भी है। कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर वर्तमान में विदेश मामलों की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। यदि समितियों का कार्यकाल दो साल का कर दिया जाता है, तो वे पार्टी से अपने कथित मतभेदों के बावजूद इस महत्वपूर्ण पद पर दो साल और बने रह सकते हैं।
क्या होती हैं स्थायी समितियां?
संसदीय स्थायी समितियां संसद की स्थायी इकाइयां होती हैं, जिनमें लोकसभा और राज्यसभा, दोनों सदनों के सांसद शामिल होते हैं। ये समितियां मुख्य रूप से विधेयकों की विस्तृत जांच, सरकारी नीतियों की समीक्षा, बजट आवंटन की पड़ताल और संबंधित मंत्रालयों को जवाबदेह ठहराने का महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। सूत्रों का कहना है कि समितियों के अध्यक्षों में बड़े बदलाव की संभावना कम है, लेकिन नए सदस्यों की नियुक्ति दो साल के कार्यकाल के लिए हो सकती है, जिससे समितियों के काम में स्थिरता आएगी।

सबसे पहले ख़बरें पाने के लिए -

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ास्ट न्यूज़ के फ़ेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 कृपया नवीनतम समाचारों से अवगत कराएं WhatsApp 9412034119