नूतन संवत्सर का नाम पड़ेगा “कालयुक्त” -राजा मंगल व मंत्री बनेंगे शनिदेव, देखें कैसा रहेगा नया साल

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संवत 2081 एवं शाके 1946 होगा प्रारम्भ      संवत्सर प्रतिपदा चैत्र शुक्ल पक्ष प्रात: सूर्योदय के समय मीन राशि में चंद्रमा का संचरण होने के कारण मेष, सिंह, धनु, राशि के जातकों को संवत्सर अपैट/प्रतिकूल रहेगा।  विषुवत संक्रांति : एक गते वैशाख के दिन कर्क, वृश्चिक, सिंह, राशि के जातकों को अपैट है।

वाम दोष : जिन जातकों का जन्म नक्षत्र आर्दा, पुनर्वसु, पुष्य है, उनकी विषुवत संक्रांति बाम पाद  बांये पैर में है।  -अरिष्ट निवारण के लिए चांदी का पैर, दही, लाल वस्त्र, सफेद वस्त्र, अन्न आदि का दान तथा रूद्राभिषेक, शिव पूजन करना चाहिए।  -शरीर के निम्न अंगों पर है विषुवत संक्रांति का रहेगा प्रभाव : धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद सिर में। जेष्ठा, मूल, पूर्वाषाड़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण,  हृदय में। स्वाति, अनुराधा, विशाखा, दाहिने हाथ में। उत्तराफाल्गुनी, हस्त, चित्रा, बांये हाथ में, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, दाहिने पैर में। आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, बांये पैर में।  -इन सभी को शांति के लिए दुर्गा सप्तशती पाठ कराकर अपने पंडित को चांदी, चावल, दही, घी, सफेद कपड़ा, फल, दक्षिणा का दान करना चाहिए।।

साढ़ेसाती का प्रभाव : शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मकर, कुंभ, मीन राशि में रहेगा। कर्क, वृश्चिक राशि में शनि की ढैया रहेगी।  कालयुक्त नाम संवत्सर का फल : राजा व मंत्री पद मंगल व शनि के पास होने से इस वर्ष अशांति, दैवीय कष्ट, भय, प्राकृतिक कष्ट, बाजार महंगाई की तरफ बढ़ेगा, राजनैतिक उथल-पुथल, जनाक्रोश, पेट्रोलियम पदार्थों में भारी उछाल रहेगा, बेरोजगारी, महामारी से इंकार नहीं किया जा सकता। अति बारिश व कहीं कहीं सूखे के आसार से जन जीवन प्रभावित रहेगा। रक्षा क्षेत्र में कुटनीतिज्ञता से विश्व में भारत का मान सम्मान बढ़ेगा। युद्ध, आतंकवादी घटनाओं से परेशानियां बढ़ेंगी। राजनैतिक उठापटक का भी योग हैं।।

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 मेष : आर्थिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। भूमि भवन के कार्यों में सावधानी बरतें। पदोन्नति व स्थानान्तरण के योग हैं।

 वृषभ : पूरे वर्ष भर स्वास्थ्य में नरमा गरमी बनी रहेगी। स्थानांतरण, पदोन्नति, शिक्षा, संतान से लाभ भूमि क्रय का योग है।

मिथुन : वर्ष के प्रारंभ में कुछ तनाव, पारिवारिक मामलों में अनबन, नौकरी व व्यवसाय के मामले में उथल-पुथल का योग रहेगा, वाहन चलाने में सावधानी बरतें।

कर्क : पूरे शनि की ढैया का प्रभाव बना रहेगा। ईश्वर पर आस्था बनी रहेंगी, संतान पक्ष से चिन्ता बनी रहेगी। भूमि भवन निर्माण के योग बन रहे हैं।

 सिंह : वर्षारम्भ में कुछ शारीरिक समस्या बन सकती है। जीवन साथी का स्वास्थ ढुलमुल रहेगा, सूर्य की अराधना करें। नित्य जल चढ़ाएं।।

कन्या : पूरे वर्ष भर पेट सिर सम्बन्धित परेशानियां हो सकती हैं। संतान पक्ष से खुशखबरी मिलेगी। 13 अक्टूबर 2024 से लाभ मिलता रहेगा।

 तुला : घर परिवार में शान्ति अशांति का मिला-जुला असर रहेगा। विपरीत स्थितियों में भी विजय मिलेगी। भूमि भवन निर्माण के योग बन रहे हैं। जीवन साथी से अनबन हो सकती है।।

वृश्चिक : उच्च मनोबल से पूरा वर्ष शुभ फलकारक है। निवेश करने में सावधानी बरतें, शनि व मंगल का जप पूजन करें।।

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धनु : पूरे वर्ष स्वास्थ्य में सुधार होगा। घर परिवार में शान्ति मिलेगी, संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त होंगे।

मकर : पूरे वर्ष शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव बना रहेगा, 29 मार्च 2025 तक इसका प्रभाव रहेगा, विदेश यात्रा का योग बन रहा है। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। पीपल को तिल मिलाकर जल चढ़ाएं।।

 कुंभ : स्वास्थ्य संबंधी मामलों में वर्ष साधारण बना रहेगा, शनि की साढ़ेसाती बनी रहेंगी, भूमी भवन मकान का योग है। जीवन साथी का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा।।

मीन : पूरे वर्ष भर स्वास्थ्य में सुधार होगा। घर परिवार में शान्ति रहेगी। पूंजी निवेश से फायदा होगा, साढ़ेसाती का प्रथम चरण होने से तनाव बना रहेगा।।

नवरात्रि एक दृष्टि : मंगलवार 9 अप्रैल 2024 प्रतिपदा तिथि कलश स्थापन, हरेला बोने का दिन, शैलपुत्री पूजन व्रत, बुधवार 10 अप्रैल 2024 द्वितीया ब्रह्मचारिणी पूजन व्रत, वृहस्पतिवार 11  अप्रैल 2024 तृतीया तिथि चन्द्र घंटा पूजन व्रत,    शुक्रवार 12 अप्रैल 2024 चतुर्थी कुष्मांडा देवी व्रत, 13 अप्रैल 2024 शनिवार पंचमी स्कंद माता व्रत पूजन, रविवार 14 अप्रैल षष्टी कात्यायनी देवी व्रत पूजन, सोमवार 15 अप्रैल सप्तमी कालरात्रि देवी पूजन, मंगलवार 16 अप्रैल दुर्गा अष्टमी व्रत  महागौरी पूजन, 17 अप्रैल  बुधवार श्रीराम नवमी, कन्या पूजन, सिद्धिदात्री व्रत, 18 अप्रैल वृहस्पतिवार हरेला पूजन, दुर्गा विसर्जन, पारायण।   पूजा में आवश्यक सामग्री : शुद्ध जल, गंगाजल, नारियल, पिठ्या, कुमकुम, धूप, पंचमेवा, काजू-बादाम किशमिश प्रसादी, श्रंगार सामग्री, चमेली तेल, फूल, मैय्या के वस्त्र, वत्ती, तिल का तेल, दूब, गाय का दूध, दही, घी, शहद, कच्ची हल्दी, कलावा, इत्र, दीपक, अखंड ज्योति, पान सुपारी इलायची, लौंग, जौं, तिल, चावल, पीली सरसों, हवन सामग्री, आम के पत्ते, दुर्गा मूर्ति, चौकी आदि।

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 –शुभ मुहूर्त कलश स्थापन : प्रात:काल सूर्योदय  से दोपहर तक का समय पूरा शुभ।  नवरात्रि सभी कार्यों के लिए शुभ नहीं कही गई है। नवरात्रि सभी कार्यो के लिए शुभ नहीं होती, ऐसी धारणा है कि नवरात्रि में सभी धार्मिक कार्य किये जा सकते हैं, जो बिल्कुल गलत है। नवरात्रि देवी पूजन, ग्रह पूजन, उपासना  के लिए शुभ है, लेकिन नवरात्रि में गृह प्रवेश, मुंडन अशुभ कहा गया है। अत: जानबूझ कर नवरात्रि में ये दो कार्य नहीं करने चाहिए।  –नूतन संवत्सर में वर्ष भर पडऩे वाले ग्रहण :18 सितंबर 2024 वुधवार खंडग्रास चंद्रग्रहण। इसका भारत में कोई प्रभाव नहीं। -02 अक्टूबर 2024 बुधवार कंकणाकृति सूर्य ग्रहण, इस ग्रहण का भारत में कोई प्रभाव नहीं होगा।  -दिनांक 14 मार्च 2025 शुक्रवार पूर्णग्रास चन्द्र ग्रहण इस ग्रहण का भी भारत में कोई प्रभाव या सूतक नहीं होगा। -दिनांक 29 मार्च 2025 शनिवार खंडग्रास  सूर्यग्रहण इस ग्रहण का भी भारत वर्ष में कोई भी प्रभाव सूतक दृश्यता नहीं होगी

पंडित त्रिभुवन उप्रेती

संस्कार ज्योतिष भाग्य  दर्पण कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड़ हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड

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