पेयजल आपूर्ति के उदगम स्थलों को प्रदूषित किए जाने पर जताई आपत्ति

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मुनस्यारी। चीन सीमा से लगे ग्राम पंचायतों के पंचायत प्रतिनिधियों ने उच्च हिमालय क्षेत्र के बलाती फार्म में भारतीय सेना द्वारा 17 ग्राम पंचायतों के पेयजल आपूर्ति के उदगम स्थलों को प्रदूषित किए जाने पर गंभीर आपत्ति जताई। कहा कि प्रशासन यहां से सेना को दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट करे अन्यथा जनता सेना के खिलाफ आंदोलन करेगी, जो सीमा क्षेत्र के अच्छा संकेत नहीं है।
कोविड काल का लाभ उठाते हुए प्रशासन ने भारतीय सेना को उद्यान विभाग की उपजाऊ भूमि गुपचुप तरीके से आवंटित कर दिया। इस पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी ने 2019 में पंचायत प्रतिनिधियों की आपत्ति के बाद रोक लगा दी थी।
कोविड का संक्रमण बढ़ते ही सेना ने इस क्षेत्र में अनाप शनाप निर्माण कर दिया है।


क्षेत्र के 17 ग्राम पंचायतों की 20 हजार की आबादी इस क्षेत्र से निकलने वाले पानी को पीकर प्यास बुझती है। सेना ने शौचालय के पिट पेयजल के उदगम स्थलों के निकट बनाकर पानी को प्रदूषित दिया है। इस क्षेत्र को स्थानीय लोगों ने प्रदूषण मुक्त रखा हुआ था, आज भारतीय सेना ने इस क्षेत्र को कूड़ा करकट का क्षेत्र बना दिया है।
स्वच्छ पानी एवं हवा के रूप में पहचान रखने वाले हिमनगरी को इस तरह से बर्बाद किया जा रहा है। पीनें का पानी गन्दा होने से इस क्षेत्र में बिमारियों के फैलने की भी शंका पैदा हो रही है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि शनिवार को वे पिथौरागढ़ जाकर जिला अधिकारी से मुलाकात कर यथा स्थिति की जानकारी देंगे। उन्होंने कहा कि तीन साल से हम भारतीय सेना को यहां से शिफ्ट करने की मांग करते थक गए है। उन्होंने कहा कि अब इस मुद्दे पर निर्णायक आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि भारतीय सेना के खिलाफ जनता आंदोलन करें। इसलिए प्रशासन तथा सरकार को हस्तक्षेप कर मामला सुलझाना चाहिए।

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